लोगों को मिलेगी बड़ी सहूलियत
जानकारी के मुताबिक, इस बेली ब्रिज के निर्माण में पुराने रेलवे ब्रिज के फाउंडेशन का उपयोग करने की योजना है. इससे फायदा यह होगा कि, निर्माण की लागत तो कम होगी ही लेकिन साथ में समय की भी बचत होगी. इसके अलावा ब्रिज पर पैदल चलने वाले लोगों के लिए भी व्यवस्था होगी. बता दें कि, रेलवे पुल के किनारे छोटे-बड़े वाहनों के आवागमन के लिए अस्थायी पुलिया बनाई गई है. लेकिन, मानसून के समय लोगों को परेशानी हो जाती है. आवागमन ठप्प हो जाता है. पानी भर जाने से ग्रामीणों और शहर के लोगों को लंबा चक्कर लगाना पड़ता है. लेकिन, बेली ब्रिज के बनने से लोगों को काफी सहूलियत होगी.
रेलवे से मंजूरी के बाद अंतिम निर्णय
बेली ब्रिज के निर्माण को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि, इसके लिए जमीन अधिग्रहण की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. दरअसल, पुराने रेलवे पुल के फाउंडेशन का उपयोग होने से दोनों तरफ कनेक्टिंग पथ बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जिसके कारण काम और तेजी से पूरा हो सकेगा. निर्माण के निर्णय को अंतिम रूप रेलवे से मंजूरी मिलने के बाद ही दी जायेगी. यह भी कहा जा रहा है कि, यह बेली ब्रिज किऊल और लखीसराय के लोगों के लिए वरदान साबित होगी. क्षेत्र का विकास भी हो सकेगा.
ऐसे तैयार होता है बेली ब्रिज…
ऐसे में बेली ब्रिज क्या होता है, यह बड़ा सवाल भी उठ रहा है. दरअसल, बेली ब्रिज के बनाने की प्रक्रिया तेज और आसान है. इसमें स्टील और लोहे के पैनल का उपयोग किया जाता है, जिसे साइट पर लाकर बोल्ट और नट से जोड़ दिया जाता है. इससे सबसे पहले मजबूत सपोर्ट तैयार किया जाता है, जिस पर पुल का ढांचा टिका रहेगा. जानकारी के मुताबिक, इसके बाद एक के बाद एक पैनल को जोड़ दिया जाता है, जिससे कि पुल का मेन प्रेम तैयार हो जाता है. फिर इस फ्रेम पर फर्श बिछाई दी जाती है. इसके बाद आखिर में रेलिंग और फुटपाथ लगाए जाते हैं. ऐसे में देखना होगा कि, सरकार क्या कुछ निर्णय लेती है.
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