लगातार बढ़े आंकड़ें
यह आंकड़ा 2021 में बढ़कर 12 हजार, 2022 में 19 हजार 75, 2023 में 20 हजार 235 और 2024 में बढ़कर 21 हजार से भी ज्यादा हो गया. बताया गया है कि इस साल जून तक 10 हजार 908 बालक-किशोरों के खिलाफ 9 हजार 126 मामले दर्ज हुए हैं. साल 2020 से जून 2025 तक के कुल आंकड़े देखें तो 77 हजार 384 आपराधिक मामलों में 90 हजार 935 बालक-किशोर शामिल रहे हैं. जिसमें 4,241 लड़कियां और 82 हजार 694 लड़के शामिल हैं.
विभिन्न अपराध में शामिल हो रहे किशोर
एडीजी जैन ने कहा कि अपराध की दुनिया में बालकों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है. पेशेवर संगठित अपराधी भी अपराध के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हैं. बालकों के विरुद्ध दर्ज मामलों में सर्वाधिक मामले चोरी, डकैती, वाहन चोरी, दुष्कर्म, नशीले पदार्थ की तस्करी या सेवन, साइबर अपराध और समूह हिंसा से जुड़े हुए हैं.
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विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन
पुलिस के अनुसार बाल और किशोर अपराधियों के मामलों की निगरानी के लिए जिला स्तर पर विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया गया है. इसका नेतृत्व डीएसपी मुख्यालय कर रहा है. साथ ही प्रत्येक थाना स्तर पर बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी की नियुक्ति हुई है. वहीं पुलिस अधिकारियों को भी बाल अपराध को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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