रिपोर्ट बताती है कि राज्य में लिंगानुपात लगातार गिरता जा रहा है. वर्ष 2020 में यह अनुपात 964 था, जो 2021 में गिरकर 908 पर पहुंच गया और 2022 में यह घटकर 891 रह गया. मात्र दो वर्षों में ही इसमें 73 अंकों की गिरावट देखी गई है. यह आंकड़े राज्य की सामाजिक संरचना और लैंगिक संतुलन के लिए खतरे की घंटी हैं.
2022 में कुल 30.7 लाख बच्चों का जन्म
हालांकि, कुल लड़कियों के जन्म के लिहाज से बिहार देश में तीसरे स्थान पर है. राज्य में वर्ष 2022 में कुल 30.70 लाख बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें 13.10 लाख लड़कियां और 14.70 लाख लड़के शामिल हैं. इस तरह लड़के-लड़कियों के बीच 1.60 लाख का अंतर देखने को मिला, जो देश में सबसे अधिक है. प्रतिशत के हिसाब से देखें तो राज्य में 52.4% लड़कों और 47.6% लड़कियों का जन्म हुआ.
सख्त कानून और जागरूकता फैलाने की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि भ्रूण लिंग परीक्षण और सामाजिक रूढ़ियों की वजह से यह अंतर लगातार बढ़ रहा है. सरकार को इस दिशा में सख्त कानून लागू करने और जागरूकता फैलाने की जरूरत है, ताकि बेटियों को भी बराबरी का हक मिल सके और लिंग संतुलन सुधारा जा सके.
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