प्रसाद में मिलाकर खाई सल्फास की गोलियां
इसी सब को लेकर धर्मेंद्र ने पूरे परिवार के साथ खुदकुशी की सोची. इसके बाद प्रसाद में सल्फास की गोली मिलाकर पूरे परिवार को खिला दी. 2 बेटियों दीपा, अरिमा कुमारी ने शुक्रवार रात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. वहीं देर रात मां सोनी कुमारी और बेटे शिवम की भी मौत हो गई.
70 रुपए में खरीदी थी सल्फास की गोलियां
गांव के लोगों ने बताया कि जब धर्मेंद्र को लगा कि उसे हर हाल में 70 हजार रुपए महीने के चाहिए, लेकिन जब ये संभव नहीं हुआ तो उसने अपनी पत्नी सोनी कुमारी से इसकी चर्चा की. सोनी कुमारी ने कहा कि एक बार हम लोग मंदिर में बैठने वाले बाबा से बात करते हैं, उनके कुछ कर्ज लेते हैं, बात बनी तो ठीक नहीं तो हम लोग अपनी जान दे देंगे. इसके बाद शुक्रवार शाम को धर्मेंद्र अपनी दोनों बेटियों, दोनों बेटों और पत्नी के साथ काली मंदिर पहुंचा. पहले धर्मेंद्र और पूरे परिवार ने पूजा की. प्रसाद चढ़ाया. इसके बाद बाबा से कर्ज की मांग की. बाबा ने हाथ खड़े कर दिए तो कहा कि किसी से दिलवा दीजिए, लेकिन बाबा ने फिर इनकार कर दिया.
प्रसाद में मिलाकर सभी को खिलाई गोलियां
इसके बाद धर्मेंद्र और सोनी बच्चों से थोड़ी दूर हटे. फिर प्लान के मुताबिक, धर्मेंद्र बाजार गया और 70 रुपए की सल्फास की 10 गोली खरीदकर लाया. फिर उसे प्रसाद में मिलाकर पहले सोनी, फिर दोनों बेटियों दीपा और अरिमा और आखिर में शिवम को खिलाया. इसके बाद उसने आखिर में सबसे छोटे बेटे सत्यम को दिया. लेकिन सत्यम ने उसे तत्काल नहीं खाया और खड़ा होकर इधर-उधर देखने लगा. करीब 10 मिनट बाद जब सबसे पहले सोनी की तबीयत बिगड़ी, तो सत्यम समझ गया और उसने प्रसाद वहीं जमीन पर गिरा दिया.
एक-एक सबकी तबीयत बिगड़ने लगी
इसके बाद धर्मेंद्र, और उनके तीनों बच्चों की तबीयत खराब हो गई, सभी जमीन पर तड़पने लगे. सोनी देवी ने तत्काल जहां उनके बच्चे पढ़ाई करते थे, उस बादशाह कोचिंग सेंटर के संचालक मधुरंजन को कॉल कर कहा कि परिवार संग जहर खा लिए हैं. उन्होंने कहा कि सत्यम ने जहर नहीं खाया है, उसे आप देख लीजिएगा. जानकारी के बाद कोचिंग संचालक मौके पर पहुंचकर सभी को अस्पताल लेकर पहुंचे.
4 साल पहले जागरण कराने गांव आया था धर्मेंद्र
धर्मेंद्र की परवरिश उसके ननिहाल नालंदा जिला के पैठना गांव में हुई थी. ननिहाल से ही धर्मेंद्र की शादी नालंदा जिला के बिंद थाना के बरहोग गांव में सोनी कुमारी के साथ हुई थी. सुरेंद्र कुमार और रिंकू देवी ने बताया कि 4 साल पहले धर्मेद्र पूरे परिवार के साथ गांव आया था. जागरण कराने के बाद पटना लौट गया था. पटना में कुछ महीनों तक राजमिस्त्री का काम किया. जमापूंजी और कुछ कर्ज लेकर कपड़े की दुकान खोली, लेकिन घाटा हो गया, दुकान नहीं चली. इसके बाद वो पावापुरी चला गया, जहां दोबारा कपड़े की दुकान खोल ली थी.
एक साथ उठी चार लाशें
शनिवार को मॉडल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद सोनी और उसके तीन बच्चों की लाश उसके मायके बरहोग गांव ले जाया गया. जहां से एक साथ गांव से चार चिताएं उठी. शवों का अंतिम संस्कार के लिए बाढ़ स्थित उमानाथ घाट ले जाया गया. जहां छोटे बेटे सत्यम ने मां, भाई और दोनों बहनों को मुखाग्नि दी. उधर, नालंदा एसपी भारत सोनी ने शनिवार को घटनास्थल का निरीक्षण किया है. उन्होंने एसआईटी टीम का गठन कर सभी संभावित बिंदुओं पर गहन जांच को लेकर पुलिस पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं.
नालंदा से सुनील राज की रिपोर्ट
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