स्थानीय इंजीनियरों की लापरवाही आई सामने
इस लापरवाही के सामने आने के कारण ही बिजली कंपनी की ओर से तमाम परियोजनाओं की विशेष रूप से जांच करने को लेकर आदेश जारी कर दिया है. इधर सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अप्रैल महीने में आरडीएसएस के अंतर्गत किए जा रहे कामों की गुणवत्ता की जांच के लिए त्रि-स्तरीय कमेटी गठित की गई थी. खबर की माने तो, 11 से 13 अप्रैल तक जांच हुई. जिसके बाद मोतिहारी अंचल में ट्रांसफॉर्मर और एरियल बंच केबल की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए. इसके बाद ही नॉर्थ बिहार कंपनी के तत्कालीन एमडी निलेश रामचंद्र देवरे ने ट्रांसफॉर्मर और केबल की जांच सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट भोपाल से जांच कराने का निर्णय लिया. उन्होंने सभी अंचलों को आदेश दिया. साथ ही सभी अंचलों में सीलिंग कमेटी भी गठित की गई थी.
इस तरह की एजेंसियों को दिया अल्टीमेटम
इधर, उत्तर बिहार में गड़बड़ी मिलने के बाद होल्डिंग कंपनी ने पूरे बिहार में बिजली की जितनी भी परियोजनाएं जो चल रही है, उसकी जांच का आदेश दिया गया. इसके साथ ही जांच को लेकर एक मानक तय किया गया, जिसके तहत सभी उपकरणों की जांच की जाएगी. कहा गया है कि, सभी तरह के पोल, पावर ट्रांसफॉर्मर, मीटर, वितरण ट्रांसफॉर्मर, सर्किट ब्रेकर्स, एबी केबल, ओवरहेड कंडक्टर, इंसुलेटर की जांच की जाए. दूसरा फेल होने पर उपकरण को बदल दिया जाए. इसके साथ ही जो उपकरण पहले से लगे हुए हैं, उसे लेकर अगर आशंका है कि गुणवत्ता अच्छी नहीं है तो, उसे बदल दें. इतना ही नहीं, एजेंसियों को अल्टीमेटम भी दिया गया है कि, जांच रिपोर्ट के बाद खराब उपकरण लगाने वाली एजेंसी को पांच साल तक ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा. इसके अलावा उपकरणों के लाने और ले जाने में जो भी पैसे खर्च होंगे, उसे एजेंसी से ही लिया जाएगा. इस तरह से देखा जा सकता है कि, बड़ा आदेश जारी कर दिया गया है.
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