Bihar News: बिहार के किसानों ने की कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत ‘खाद के साथ जबरदस्ती बोतल थमा देता है’

Bihar News: केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को एक दिन के बिहार दौरे पर पटना में थे. शिवराज सिंह ने किसानों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को जाना. इस दौरान कई किसानों ने खाद के साथ नैनो बोतल जबरदस्ती थमाने की शिकायत की.

By Pratyush Prashant | August 3, 2025 8:26 AM
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Bihar News: केंद्रीय कृषि कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को एक दिन के बिहार दौरे पर पटना में मौजूद रहे. शिवराज सिंह ने किसानों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को जाना. बापू सभागार में शिवराज सिंह मंच से सीधे उतरकर किसानों के बीच चले गए और एक-एक कर किसानों की समस्या पूछने लगे. इस दौरान कई किसानों ने खाद के साथ बोतल जबरदस्ती थमाने की शिकायत की.
किसानों की शिकायत सुन कृषि मंत्री भड़क गए और अधिकारियों से कहा कि इस पर कार्रवाई करें. किसानों को कोई भी मजबूर नहीं कर सकता है. खाद के स्थान पर कुछ और जो देगा, सख्त कार्रवाई की जाएगी. खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए भी किसानों को शिवराज सिंह चौहान ने निर्देशित किया. कृषि मंत्री ने कहा कि जो कोई खाद की कालाबाजारी में संलिप्त पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.

शिवराज सिंह ने किये नए वादे

शिवराज सिंह ने पटना में मंच से ऐलान किया कि “अब राज्य की सब्जियां और अन्य फसलें बर्बाद नहीं होंगी.” इसके लिए एमआईएस (बाजार हस्तक्षेप योजना) शुरू की गई है, जिसके तहत किसान अपनी उपज को बड़े बाज़ारों तक पहुंचा सकेंगे और उसका भाड़ा केंद्र सरकार उठाएगी. यह एक बड़ा कदम है, खासकर उस राज्य में जहां सब्ज़ी उत्पादन तो भरपूर है लेकिन उसका बाज़ार ढह जाता है.

टमाटर, प्याज़, आलू और हरी सब्ज़ियों पर केंद्र सरकार की खास नजर है और इस बार सब्सिडी, न्यूनतम समर्थन मूल्य और नैनो यूरिया जैसे मुद्दे घोषणाओं की अगली पंक्ति में हैं.

MSP पर सरकार का दांव

कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार उत्पादन लागत पर 50% जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर रही है और अरहर, मूंग, मसूर, चना जैसी दालें भी MSP पर खरीदी जाएंगी. यह उन किसानों के लिए राहत भरी बात है जो हर साल लागत और बाजार के बीच पिस जाते हैं.

‘धन-धान्य योजना’ से विकास का वादा

इस मौके पर शिवराज सिंह चौहान ने एक और नई योजना—प्रधानमंत्री कृषि धन-धान्य योजना की भी घोषणा की, जिसका मकसद है किसानों की उत्पादकता बढ़ाना और लागत घटाना. अब तक केंद्र सरकार पौने दो लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी और 25 लाख करोड़ रुपये का ऋण किसानों को दे चुकी है. इन आंकड़ों के जरिए उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि “मोदी सरकार ने किसानों को कभी अकेला नहीं छोड़ा.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में PM किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त जारी की है. इसके तहत देश के 9.70 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में सीधे 20,500 करोड़ रुपये पहुंचे हैं, जिसमें बिहार के करीब 74 लाख किसानों को दो-दो हजार रुपये मिले हैं. यह आंकड़ा सिर्फ राहत नहीं, चुनावी जनसंवाद का आधार भी है.

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गंगा किनारे बांसघाट पर देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की समाधि के पास बनने जा रहा है एक अनोखा पार्क—‘बिहार गौरव पार्क’, जो होगा ‘वेस्ट टू वंडर’ थीम पर आधारित. यह पार्क न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि लोगों को वेस्ट मैनेजमेंट और पर्यावरण संरक्षण का नया दृष्टिकोण भी देगा.

राजेंद्र बाबू और जयप्रकाश नारायण की विरासत से जोड़ता स्थान

बिहार गौरव पार्क का सबसे बड़ा आकर्षण होगा उसका स्थान चयन. यह पार्क एक तरफ देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की समाधि के पास बनेगा और दूसरी ओर जेपी गंगा पथ से सटा होगा, जिससे यहां प्रतिदिन हजारों लोग गुजरते हैं.
इसके चलते पार्क ना केवल पर्यटकों के लिए बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा. इसके पास लोकनायक जयप्रकाश नारायण का समाधि स्थल भी विकसित किया जाएगा, जिससे यह क्षेत्र ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से और समृद्ध होगा.

देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की समाधि के उपेक्षा पर प्रभात खबर में 10 जुलाई 2002 प्रकाशित रिपोर्ट

क्या है ‘वेस्ट टू वंडर’ पार्क?

‘वेस्ट टू वंडर’ थीम पर आधारित पार्क एक ऐसी जगह होगी, जहां स्क्रैप और अनुपयोगी सामग्रियों से कलात्मक मूर्तियां और संरचनाएं बनाई जाएंगी. यह पार्क 10 एकड़ में फैलेगा और इसकी लागत लगभग 15 करोड़ रुपये आंकी गई है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनोखी पहल

पटना के बांसघाट क्षेत्र में मंगलवार को निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘वेस्ट टू वंडर’ थीम पार्क और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की समाधि स्थल को विकसित करने के निर्देश दिए. सीएम ने कहा कि इस पार्क के निर्माण से यह इलाका दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित होगा और लोगों को पर्यावरणीय जागरूकता के साथ-साथ ऐतिहासिक विरासत से जुड़ने का अवसर भी मिलेगा.

निर्माणाधीन शवदाह गृह भी होगा आधुनिक

मुख्यमंत्री ने बांसघाट क्षेत्र में निर्माणाधीन शवदाह गृह परिसर का भी निरीक्षण किया. अधिकारियों ने उन्हें प्रगति की जानकारी दी और बताया कि यह स्थल जल्द ही आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा, जिससे अंतिम संस्कार की प्रक्रिया और अधिक सम्मानजनक और व्यवस्थित होगी.

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Bihar Flood Alert: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बागमती नदी एक बार फिर तबाही की राह पर है. लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण औराई प्रखंड में बभनगामा पूर्वी टोला स्थित बागमती की उत्तरी उपधारा पर बना चचरी पुल मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे बह गया. पानी के भारी दबाव के बीच पुल के संचालक महेंद्र सहनी और सत्यनारायण सहनी ने बांस-बल्ली से पुल के कुछ हिस्सों को बचाने की कोशिश की, लेकिन नदी का बहाव ज्यादा तेज था. अब इलाके में नाव ही एकमात्र सहारा बन गई है.

तीन फीट तक पानी बढ़ा

बागमती की उत्तरी और दक्षिणी दोनों उपधाराओं में करीब तीन फीट तक पानी बढ़ चुका है. अतरार में दक्षिणी उपधारा अब मुख्यधारा का रूप ले चुकी है, जिससे पानी तेजी से आसपास के इलाकों में फैल रहा है. हालांकि कटौंझा क्षेत्र में बागमती फिलहाल खतरे के निशान से नीचे बह रही है, लेकिन हालात तेजी से बिगड़ने की आशंका है.

नावों पर जिंदगी, गांवों में घिर गई ज़िंदगी

प्रखंड के लगभग एक दर्जन गांवों में लोग अब नावों के सहारे ही आना-जाना कर पा रहे हैं. हालात यह हैं कि जिन रास्तों से कभी बच्चे स्कूल जाते थे और किसान खेतों तक पहुंचते थे, अब वहीं से नावें गुजर रही हैं.

इधर, बेनीबाद में भी खतरे की घंटी बज चुकी है. बागमती का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण तटबंध पर कटाव की आशंका को लेकर पथ प्रमंडल-2 की टीम सक्रिय हो गई है. कार्यपालक अभियंता ओमप्रकाश की निगरानी में तटबंध की सुरक्षा पर नजर रखी जा रही है.

पीपा पुल पर संकट, संपर्क टूटा

कटरा क्षेत्र के बकुची में बागमती पर बने पीपा पुल के दाहिने हिस्से के एप्रोच पर पानी चढ़ गया, जिससे तीन घंटे तक आवागमन पूरी तरह ठप रहा. मरम्मत के बाद हल्के वाहनों की आवाजाही तो शुरू हुई, लेकिन चारपहिया वाहन अब भी नहीं गुजर पा रहे हैं. उत्तरी हिस्से की 14 पंचायतों के लाखों लोगों के लिए प्रखंड मुख्यालय पहुंचना चुनौती बन गया है.

नाव बनी जीवनरेखा

जलस्तर के उतार-चढ़ाव को देखते हुए नाव की मांग अचानक बढ़ गई है. लोग दूर-दराज से छोटी नावें खरीदने पहुंच रहे हैं. किसान, मवेशी पालक और स्थानीय ग्रामीण अब छोटी नावों को ही अपनी जीवनरेखा मान बैठे हैं. बाजार में एक नाव की कीमत 40 से 50 हजार रुपये तक बताई जा रही है. बड़ी नावें कम हैं, इसलिए छोटी नाव की मांग अधिक है.

प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है. सीओ मधुमिता कुमारी ने कहा कि हर इलाके से रिपोर्ट ली जा रही है और जरूरत पड़ने पर राहत व बचाव कार्य शुरू किया जाएगा. फिलहाल बागमती के बढ़ते जलस्तर ने मुजफ्फरपुर के ग्रामीण इलाकों में चिंता की लहर पैदा कर दी है.

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Bihar News: बिहार में शहरीकरण को नई दिशा देने के लिए राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. 'बिहार शहरी आयोजना स्कीम नियामावली 2025' को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत अब बिना ज़मीन अधिग्रहण के ग्रीनफील्ड और सैटेलाइट टाउनशिप बसेंगी.

दिल्ली-नोएडा जैसी आधुनिक टाउनशिप अब बिहार के 11 प्रमुख शहरों में बसाई जाएंगी—और यह सब मुमकिन होगा लैंड पुलिंग मॉडल के जरिए, जिसमें जमीन मालिकों को मुआवज़ा नहीं, बल्कि विकास में सीधा हिस्सा मिलेगा

लैंड पुलिंग मॉडल पर आधारित होगी योजना

इस योजना के तहत भूमि मालिक अपनी जमीन सरकार को नहीं बेचेंगे, बल्कि योजना में योगदान के रूप में देंगे, बदले में उन्हें उसी क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं से युक्त विकसित भूखंड मिलेगा. इस मॉडल में किसी तरह की जबरन अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी. योजना का सारा व्यय पात्र निजी डेवलपर वहन करेंगे. सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा.

मंत्री ने बताया कि यह नीति भूमि मालिकों को क्षतिपूर्ति के बजाय अवसर देती हैं. न्यूनतम 100 हेक्टेयर क्षेत्र में विशेष थीम वाले टाउनशिप बसाने की योजना है. कुछ मामलों में यह सीमा 10 हेक्टेयर तक भी लाई जा सकती है. टाउनशिप में आवसीय, वानिज्यिक, औद्योगिक उपयोग के लिए क्षेत्र तय होंगे

जमीन मालिकों को सड़क किनारे प्लॉट मिलेगा

नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने कहा कि इस मांडल से उन क्षेत्रों में भी विकास संभव होगा जो अभी जमीन मालिक हैं और जहा पहुंच की कोई व्यवस्था नहीं है. भूमि पुनर्गठन इस तरह से होगा कि मालिकों को सड़क किनारे प्लांट मिलेगा और एफएआर के आधार पर उन्हें ज्यादा निर्मित क्षेत्रफल की अनुमति दी जाएगी. विवादों के समाधान के लिए विशेष ट्रिब्यूनल और रिजाल्यूशन मैकेनिज्म की व्यवस्था की गई है.

जमीन का उपयोग प्रतिशत में तय होगा

सड़क निर्माण के लिए अधिकतम :22%
कमजोर वर्गो के लिए आवास: 3%
सामाजिक संरचना (पार्क, हास्पिटल, थाना, बिजली स्टेशन, ग्रीन एरिया आदि) :5%
भूमि मालिकों को लौटाई जाने वाली जमीन: 55%
डेवलपर को विक्रय योग्य भूमि : 15%

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Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर नया समीकरण उभर कर सामने आया है. राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और हसनपुर से मौजूदा विधायक तेजप्रताप यादव ने पांच दलों के साथ मिलकर एक नया राजनीतिक मोर्चा खड़ा कर दिया है. मंगलवार को पटना में आयोजित प्रेस वार्ता में तेजप्रताप ने इसकी औपचारिक घोषणा करते हुए बताया कि वे आगामी विधानसभा चुनाव महुआ सीट से लड़ेंगे और गठबंधन की अगुवाई खुद करेंगे.

इन पार्टियों के साथ तेजप्रताप का गठबंधन

तेजप्रताप यादव का यह गठबंधन विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा, प्रगतिशील जनता पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी और संयुक्त किसान विकास पार्टी को मिलाकर तैयार किया गया है. तेजप्रताप ने कहा कि इस गठबंधन का मकसद उन तबकों को साथ लाना है जो अब तक विकास और राजनीतिक हिस्सेदारी से वंचित रहे हैं.

उन्होंने कहा, "यह महज गठबंधन नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक वैचारिक आंदोलन की शुरुआत है. हम हाशिए पर रह गए वर्गों को सम्मान और प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए एकजुट हो रहे हैं."

तेजप्रताप ने राजद और कांग्रेस को भी दिया न्योता

तेजप्रताप ने वीवीआईपी के नेता प्रदीप निषाद के साथ मंच साझा करते हुए उन्हें निषाद समाज का असली प्रतिनिधि बताया और कहा कि मछुआरा समाज को राजनीतिक रूप से मजबूत बनाने के लिए उनकी भूमिका अहम होगी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ दल निषाद समाज के नाम पर राजनीति तो करते हैं लेकिन उनके लिए काम कुछ नहीं करते.

तेजप्रताप ने राजद और कांग्रेस को भी इस गठबंधन में शामिल होने का खुला न्योता दिया. उन्होंने कहा कि अगर ये पार्टियां वास्तव में सामाजिक न्याय की राजनीति करती हैं, तो उन्हें इस नई धुरी का हिस्सा बनना चाहिए.

हसनपुर छोड़ महुआ की राह

तेजप्रताप यादव ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे इस बार हसनपुर नहीं, बल्कि महुआ से चुनाव लड़ेंगे. महुआ वही सीट है, जहां से उन्होंने 2015 में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी और पहली बार विधायक बने थे. अब एक बार फिर वह उसी सीट से अपनी "नई राजनीतिक धारा" की शुरुआत करने जा रहे हैं.

नई राजनीति की ओर कदम

तेजप्रताप यादव लंबे समय से अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में लगे थे. कभी शिवभक्ति और कभी कृष्णभक्ति के जरिए वे खुद को अन्य नेताओं से अलग दिखाते रहे हैं. लेकिन इस बार उनका अंदाज बदला-बदला है. वो संगठित रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

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