Bihar News: थिरकते कदमों से गढ़ी सपनों की उड़ान, यहां पढ़ें अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर विशेष

Bihar News: संगीत की थाप पर थिरकते कदम केवल लय नहीं गढ़ते, बल्कि आत्मा को भी उजागर करते हैं. नृत्य, सदियों से महिलाओं की सशक्तता, आत्म-अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास का मजबूत जरिया रहा है. हर वर्ष 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है.

By Radheshyam Kushwaha | April 27, 2025 4:25 AM
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Bihar News: नृत्य दिवस को लेकर हम आपके सामने ला रहे हैं उन बेटियों और महिलाओं की कहानियां, जिन्होंने अपनी मेहनत और जुनून से नृत्य के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पहचान बनायी है. ये कहानियां सिर्फ कला के प्रति प्रेम को नहीं दर्शातीं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि नृत्य के जरिये कैसे एक इंसान खुद को नयी ऊंचाइयों तक ले जा सकता है. आइए मिलते हैं उन प्रतिभाओं से, जिनका जज्बा प्रेरणा बन गया है.

  1. भरतनाट्यम से गढ़ी पहचान, अब नयी पीढ़ी को दे रहीं दिशा – ऋतयन्ति चौधरी, कदमकुआं

कदमकुआं की ऋतयन्ति चौधरी ने नृत्य की दुनिया में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनायी है. बचपन से ही घर में संगीत और कला का वातावरण मिला, जहां उनकी मां अपराजिता चौधरी से उन्होंने भरतनाट्यम की प्रारंभिक शिक्षा ली. पिछले 20 वर्षों से वह इस शास्त्रीय नृत्य से जुड़ी रहीं और आज दूरदर्शन की ग्रेडेड आर्टिस्ट के तौर पर अपनी कला का परचम लहरा रही हैं. मद्रास विवि से मास्टर्स करने के बाद ऋतयन्ति ने सृजित कृष्ण और अंजना आनंद जैसे प्रतिष्ठित गुरुओं से प्रशिक्षण प्राप्त किया और अब सुदीपा घोष के मार्गदर्शन में अपनी प्रतिभा को और निखार रही हैं. देश के कई राज्यों – बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और तमिलनाडु में अपनी प्रस्तुतियां देकर उन्होंने भरतनाट्यम को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. आज वह वर्कशॉप के जरिये बच्चों को प्रशिक्षित कर रही हैं.

  1. क्लासिकल और वेस्टर्न में बना रही हैं अंतरराष्ट्रीय पहचान – अन्निका मुखर्जी, गर्दनीबाग

गर्दनीबाग की अन्निका मुखर्जी का नृत्य से रिश्ता मात्र तीन साल की उम्र में शुरू हो गया था, जब उनकी मां ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें भरतनाट्यम सिखाने की राह पर अग्रसर किया. पिछले 12 वर्षों से अन्निका क्लासिकल नृत्य में लगातार साधना कर रही हैं. भरतनाट्यम में शुरुआती शिक्षा रामचंद्र गोलदार से प्राप्त करने के बाद, अब वे कोलकाता में गुरु डोना गांगुली से ओड़ीसी और पटना में राजीव रंजन से कथक की बारीकियां सीख रही हैं. अन्निका का सपना है कि वे क्लासिकल और वेस्टर्न दोनों डांस फॉर्म में पारंगत होकर एक अंतरराष्ट्रीय कलाकार बनें. वह कहती हैं, अगर पैशन ही प्रोफेशन बन जाए, तो संतोष भी मिलता है और सफलता भी. वे अभी ‘डांस का महायुद्ध’ के सेमीफाइनल और फाइनल में अपनी प्रस्तुति देने की तैयारी में जुटी हैं.

  1. देशभर के मंचों पर अपनी प्रतिभा का कर चुकी हैं प्रदर्शन – दिशी प्रकाश, विजय नगर

विजय नगर की दिशी प्रकाश ने मात्र तीन साल की उम्र में गुरु-शिष्य परंपरा के तहत नृत्य की दुनिया में कदम रखा. स्वर्गीय डॉ बलराम लाल और राजा चंद्रवंशी से कथक की शिक्षा लेकर दिशी ने नृत्य के प्रति गहरी निष्ठा और समर्पण को अपनाया. बॉलीवुड कोरियोग्राफर मास्टर मारजी के साथ मंच साझा करते हुए उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी. पिछले 12 वर्षों में दिशी ने कथक की बारीकियों को आत्मसात कर देशभर के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रतिभा दिखायी. 2025 के गणतंत्र दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य गणमान्य अतिथियों के समक्ष प्रदर्शन करना उनके करियर का गौरवपूर्ण क्षण रहा है. भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से मिलने का अवसर मिलना उनकी कड़ी मेहनत का प्रतीक है. हाल ही में दसवीं कक्षा की परीक्षा दे चुकी दिशी, अब कथक में उच्च शिक्षा जारी रखने का सपना संजो रही हैं.

  1. हिप हॉप ने ‘डांस इंडिया डांस’ के मंच तक पहुंचाया – प्रिया कुमारी, बोरिंग रोड

बोरिंग रोड की प्रिया कुमारी ने अपने भीतर की बेचैनी को डांस के जरिये ऊर्जा में बदला. जब मानसिक अस्थिरता का दौर आया, तो डांस ने उन्हें सहारा दिया. वे कहती हैं डांस स्टूडियो में कदम रखते ही हमें हिप हॉप डांस फॉर्म ने अपनी ओर खींच लिया- जहां रिदम और एनर्जी का मेल नया जीवन देने लगा. पिछले दस वर्षों से वह हिप हॉप में निपुणता हासिल कर चुकी हैं. डीआइडी (डांस इंडिया डांस) के मुंबई राउंड में चौथे स्थान तक पहुंचने के बाद भले ही फाइनल में न पहुंच पायीं, लेकिन इस अनुभव ने उनके आत्मविश्वास को नयी ऊंचाई दी. प्रिया ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और पटना जैसे शहरों में अपने डांस से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है. ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद अब मीठापुर स्थित अपने डांस स्टूडियो में बच्चों को हिप हॉप सिखाकर वह आने वाली पीढ़ी को भी प्रेरित कर रही हैं.

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