ऐसे तो एक दिन सूख जायेगी गंगा, बक्सर से भागलपुर तक 10 वर्षों में एक तिहाई सिकुड़ गई नदी

Bihar News: केंद्रीय जल आयोग के अनुसार देश की 26 फीसदी भूमि गंगा बेसिन के दायरे में आती है. बिहार की आठ करोड़ तो देश की 50 करोड़ आबादी गंगा से प्रभावित होती है. देश का सबसे बड़ा बेसिन गंगा नदी का है, लेकिन इसमें क्षमता से आधे से भी कम पानी का स्टोरेज है. पहले गंगा में सालों भर पानी रहता था, लेकिन अब नवम्बर से मार्च तक गंगा में सबसे कम पानी रहता है. अप्रैल, मई और अक्टूबर में पानी का बहाव औसत और जून से सितम्बर तक सामान्य से 30 फीसदी अधिक रहता है.

By Ashish Jha | December 26, 2024 12:37 PM
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Bihar News: पटना. बिहार में गंगा के प्रवाह में न केवल कमी आई है, बल्कि इसकी दिशा भी प्रभावित हुई है. इसके जलग्रहण का दायरा भी कम हुआ है. बक्सर से कहलगांव तक गंगा की धारा दो दशक में सिकुड़कर एक तिहाई रह गई है. भले ही गंगा का पाट चौड़ा दिखता है, लेकिन पानी की धारा लगातार सिकुड़ती चली जा रही है. अधिकतर शहरों से गंगा की धारा कोसों दूर चली गई है. जेठ के महीने में तो कई जगह धूल उड़ती है.

जहां दो घंटे लगते थे वहां अब लगता है 30 मिनट

बक्सर में चौसा से शहर तक गंगा का पाट करीब डेढ़ किलोमीटर है. अहिरौली से नैनीजोर जिले की सीमा तक नदी का पाट घटकर करीब आधा किलोमीटर रह गया है. शहर से पूरब की ओर आगे बढ़ने पर अहिरौली से केशोपुर, गंगौली होतेहुए नैनीजोर तक गंगा में हर साल कटाव काफी तेजी से हो रहा है. इन दिनों यहां गंगा में लगभग 800 क्यूसेक पानी है. सुल्तानगंज से पीरपैंती तक नदी के पाट की चौड़ाई इतनी कम है कि दो-तीन दशक पहले कहलगांव से तीनटंगा जाने में नाव से दो घंटे लगते थे. अब 30 मिनट
लगता है.

500 मीटर से 4 किमी तक दूर हो गई गंगा

पटना में गंगा नदी कुछ जगहों को छोड़ दे तो शहर से न्यूनतम 500 मीटर और अधिकतम 4 किलोमीटर दूर जा चुकी है. पटना जिले में नदी की धारा आधा हो गई है. जेपी गंगा पथ समेत अन्य कारणों से गंगा अब हमेशा के लिए परंपरागत घाटों से दूर जा चुकी है. वर्ष 1984-85 में गंगा की गहराई करीब 35 फुट थी. अब दीघा से दीदारगंज तक तक गंगा की गहराई औसतन 14 से 15 फुट ही रह गई है. दीघा से गांधी घाट तक किनारा छोड़ चुकी है. वहीं गाय घाट से दीदारगंज तक गंगा में बड़े-बड़े टापू नजर आने लगे हैं. टापूओं पर किसानों ने खेती शुरू कर दी. बड़े-बड़े प्लांट लग गए हैं. पानी घट गया, क्षेत्र कम हो गया और भूमिगत जलस्तर में भी कमी आ गई.

पानी कम होनेसेमछलियों की कई प्रजातियां हो गईं विलुप्त

सारण के डोरीगंज और सोनपुर के पास का गंगा का पानी आचमन करने लायक भी नहीं रह गया है. गंगा नदी में पानी कम होने से मछलियां कम मिल रही हैं. इस वजह से मछुआरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है. मछुआरा महादेव सहनी ने बताया कि पहले गंगा नदी में हिल्सा, सौंक्ची, झींगा आदि मछलियां मिलती थीं, लेकिन अब ज्यादातर प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं. वैशाली में महनार सेहो कर गुजरनेवाली 4-5 किलोमीटर तक गंगा की धारा पहले की अपेक्षा कृत अब सिकुड़ गई है. गंगा में जहां-तहां रेत उभर आते हैं. गर्मी के दिनों में यही रेत सूखकर शहर से सटे इलाकों में प्रदूषण की बड़ी वजह बन जाते हैं. बक्सर, भोजपुर, वैशाली, मुंगेर, खगड़िया सहित जहां-जहां से गंगा गुजरती है, वहां हवा में धूलकण की मात्रा अधिक रहती है.

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