Bihar News: जू और पार्कों तक सिमटी शहर की हरियाली, मानकों से कोसों दूर पटना का ग्रीन बेल्ट

Bihar News: बिहार की राजधानी पटना में ग्रीनरी की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. पूरा शहर मिलाकर सिर्फ 4-5 वर्ग किलोमीटर इलाका ही हरा-भरा है, जो शहर के कुल क्षेत्रफल का महज 5% भी नहीं है. जबकि पर्यावरण मानकों के अनुसार किसी शहर में कम से कम 25% क्षेत्र ग्रीन बेल्ट होना चाहिए. पटना की हरियाली सिर्फ पटना जू और कुछ चुनिंदा 110 पार्कों तक ही सीमित रह गयी है. बाकी शहर कंक्रीट और धूल से घिरता जा रहा है. इस कमी का असर साफ दिख रहा है. हवा में ऑक्सीजन घट रही है और प्रदूषण बढ़ रहा है. इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. ऐसे में अब जरूरत है शहर में हरियाली बढ़ाने की ठोस पहल की.

By Radheshyam Kushwaha | July 30, 2025 9:24 PM
an image

अनुपम कुमार/ Bihar News: पटना शहर का मुख्य हिस्सा जो पटना नगर निगम के क्षेत्राधिकार में आता है 108 वर्ग किमी के दायरे में फैला है. लेकिन संरक्षित ग्रीन बेल्ट के के नाम पर शहर में केवल संजय गांधी जैविक उद्यान और इको पार्क, हार्डिंग पार्क समेत 110 पार्क हैं. इनका सम्मिलित क्षेत्रफल महज 1.16 वर्ग किमी हैं जिनमें 110 पार्कों का सम्मिलित क्षेत्रफल 0.55 वर्ग किमी (136 एकड़) और जू का क्षेत्रफल 0.61 वर्ग किमी (153 एकड़) है. इस संरक्षित ग्रीन बेल्ट में दीघा में बिहार विद्यापीठ में स्थित बगीचे, हार्डिंग रोड में सड़क के दोनों किनारे पर लगे पेड़, मरीन ड्राइव में दीघा से कुर्जी तक गंगा के किनारे लगाये जा रहे बगीचे और फ्लाइओवर के नीचे लगाये जा रहे पौधे, ऊपर पुल पर डिवाइडर पर रखे गये पौधे और शहर में कहीं कहीं बचे इक्के-दुक्के पुराने पौधे जैसे असंरक्षित हरियाली को भी यदि शामिल कर लें तो भी बमुश्किल दो-तीन वर्ग किमी का अतिरिक्त क्षेत्र हरे भरे क्षेत्र में शामिल होगा. इस प्रकार सब मिला कर शहर में चार-पांच वर्ग किमी का क्षेत्र ही हरा भरा है जो कुल क्षेत्रफल का पांच फीसदी से भी कम है जबकि पर्यावरण मानक के अनुसार ग्रीन बेल्ट का एरिया कुल क्षेत्रफल का 25 फीसदी होना चाहिए. इस प्रकार पटना में जरूरत का केवल पांचवां हिस्सा ही ग्रीन बेल्ट है जो पर्यावरण की दृष्टि से बेहद अपर्याप्त है. इससे हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है और स्वच्छ हवा नहीं मिलने से लोगों के स्वास्थ्य पर उसका कुप्रभाव पड़ रहा है.

जहां बगीचे वाले कैंपस थे अब बन गये अपार्टमेंट

शहर की हरियाली खत्म होने की एक बड़ी वजह अपार्टमेंट का जाल है. पटना शहर में इन दिनों पांच हजार से अधिक अपार्टमेंट बन चुके हैं. जहां कहीं भी बगीचे वाले कैंपस थे, वहां अब अपार्टमेंट बन गये हैं. ग्राउंड फ्लोर पर जहां बगीचे और पेड़ पौधे हुआ करते थे वहां अब सीमेंटेड फर्श बना दी गयी है और वाहन पार्क किया जा रहा है. पूरे भूखंड के इंच-इंच का इस्तेमाल कर लिया गया है और कहीं खाली जमीन ही नहीं छोड़ा गया है जहां पेड़ पौधे लगाये जा सके. कहीं कहीं केवल सजावट के लिए गमले में छोटे छोटे पौधे रख दिये गये हैं, जो पर्यावरण की जरूरत को पूरा करने की दृष्टि से किसी भी तरह पर्याप्त नहीं हैं.

सड़क चौड़ीकरण में कट गये कई विशाल पेड़

पटना की प्रमुख सड़कों के किनारे बड़े बड़े वृक्ष होते थे. पटना में बहुत लंबे समय से रह रहे लोग बताते हैं कि सड़क के दोनों ओर पेड़ इतने घने थे कि चितकोहरा से वे लोग गवर्नर हाउस और बेली रोड होते हुए उसकी छाया में ही पैदल गोलघर और गांधी मैदान तक चले जाते थे. इसी तरह खगौल रोड और हार्डिंग रोड से होते हुए सचिवालय तक विशाल वृक्षों की सड़क के दोनों ओर कतार थी जिसके नीचे चलते हुए गर्मियों में भी बिना धूप का सामना किये लोग सचिवालय तक पहुंच जाते थे.

बेली रोड और खगौल की खत्म हो गयी हरित पट्टी

बेली रोड और खगौल रोड किनारे स्थित अधिकतर वृक्ष आज सड़क चौड़ीकरण में कट चुके हैं और उनके जगह नये वृक्ष नहीं लगाये गये हैं. इससे इस पूरे क्षेत्र की हरित पट्टी समाप्त हो गयी है. केवल हार्डिंग रोड में पुराने विशाल वृक्ष सिंचाई भवन से लेकर चितकोहरा फ्लाइओवर तक बचे हैं क्योंकि पहले से ही काफी चौड़े होने के कारण इनके चौड़ीकरण की जरुरत नहीं पड़ी है.

यहां बड़ी संख्या में कटे पेड़

  1. गर्दनीबाग क्वार्टर एरिया
    गर्दनीबाग क्षेत्र में सरकारी कर्मचारियों के रहने के लिए आवास बने थे. उनमें हर आवास तीन से चार कट्ठे में बने थे. उनके कैंपस में जगह होती थी जहां बड़ी संख्या में पेड़ लगे थे. लेकिन अब पूरे क्षेत्र में बड़े-बड़े बहुमंजिले भवन बना दिये गये हैं और इस क्रम में सभी पेड़ पौधों को काट दिया गया है.
  2. सेंट जेवियर कॉलेज परिसर
    दीघा में सेंट जेवियर कॉलेज परिसर में भी कुछ महीने पहले तक बड़ी संख्या में पेड़ थे. लेकिन इनके एक बड़े हिस्से को कॉलेज परिसर में नये भवन बनाने के क्रम में काट दिया गया.
  3. पटना एयरपोर्ट परिसर
    पटना एयरपोर्ट परिसर में बड़ी संख्या में पेड़ थे. इनको नये टर्मिनल के निर्माण के क्रम में हटाना जरूरी था. लिहाजा उनको जड़ समेत उखाड़कर अटल पथ और मरीन ड्राइव में लगाया गया. लेकिन तीन-चार साल बीतने के बावजूद वहां इनमें से अधिकतर का अब तक स्वाभाविक विकास नहीं हो पाया है.

पेड़ की जड़ों को सीमेंट से जकड़ दिया गया है…

शहर में कई जगह सड़क किनारे स्थित पेड़ के चारों ओर पेवर ब्लॉक बिछा दिया जा रहा है या इस क्रम में उनके जड़ के चारों ओर सीमेंट से चबूतरानुमा ढलाई कर दी जाती है. इससे आसपास के जमीन से पानी रिस कर पेड़ की जड़ों तक नहीं पहुंच पाता और वह धीरे-धीरे सूखने लगता है. इस वजह से सड़क किनारे लगे पेड़ों के उखड़कर गिरने की घटनाएं बहुत बढ़ गयी हैं और हरेक आंधी के बाद राजधानी में पांच-सात पेड़ उखड़कर जरूर गिरते हैं.

ऐसे समझें शहर में कितनी है ग्रीनरी

  • 108 वर्ग किमी है पटना नगर निगम का कुल क्षेत्रफल
  • 4-5 वर्ग किमी है शहर में कुल हरा-भरा क्षेत्र
  • 25% ग्रीन एरिया होना चाहिए शहर में मानकों के अनुसार
  • 1.16 वर्ग किमी है पटना का ग्रीन बेल्ट एरिया
  • 110 पार्कों का क्षेत्रफल 0.55 वर्ग किमी है यानी 136 एकड़
  • 0.61 वर्ग किमी यानी 153 एकड़ है संजय गांधी जैविक उद्यान

ये हैं शहर के अन ऑर्गनाइज्ड ग्रीन एरिया (2-3 वर्ग किमी)

  • बिहार विद्यापीठ, दीघा
  • हार्डिंग रोड
  • मरीन ड्राइव
  • फ्लाईओवर के नीचे व डिवाइडर पर पौधे
  • शहर में कुछ पुराने बचे हुए पेड़

इनपुट : मनीष कुमार

Also Read: Election Express Video: हथुआ विधानसभा की जनता ने कर दी मुद्दों की बौछार, भय-भूख और भ्रष्टाचार से चाहिए मुक्ति

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

यहां पटना न्यूज़ (Patna News) , पटना हिंदी समाचार (Patna News in Hindi), ताज़ा पटना समाचार (Latest Patna Samachar), पटना पॉलिटिक्स न्यूज़ (Patna Politics News), पटना एजुकेशन न्यूज़ (Patna Education News), पटना मौसम न्यूज़ (Patna Weather News) और पटना क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर.

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version