जहां बगीचे वाले कैंपस थे अब बन गये अपार्टमेंट
शहर की हरियाली खत्म होने की एक बड़ी वजह अपार्टमेंट का जाल है. पटना शहर में इन दिनों पांच हजार से अधिक अपार्टमेंट बन चुके हैं. जहां कहीं भी बगीचे वाले कैंपस थे, वहां अब अपार्टमेंट बन गये हैं. ग्राउंड फ्लोर पर जहां बगीचे और पेड़ पौधे हुआ करते थे वहां अब सीमेंटेड फर्श बना दी गयी है और वाहन पार्क किया जा रहा है. पूरे भूखंड के इंच-इंच का इस्तेमाल कर लिया गया है और कहीं खाली जमीन ही नहीं छोड़ा गया है जहां पेड़ पौधे लगाये जा सके. कहीं कहीं केवल सजावट के लिए गमले में छोटे छोटे पौधे रख दिये गये हैं, जो पर्यावरण की जरूरत को पूरा करने की दृष्टि से किसी भी तरह पर्याप्त नहीं हैं.
सड़क चौड़ीकरण में कट गये कई विशाल पेड़
पटना की प्रमुख सड़कों के किनारे बड़े बड़े वृक्ष होते थे. पटना में बहुत लंबे समय से रह रहे लोग बताते हैं कि सड़क के दोनों ओर पेड़ इतने घने थे कि चितकोहरा से वे लोग गवर्नर हाउस और बेली रोड होते हुए उसकी छाया में ही पैदल गोलघर और गांधी मैदान तक चले जाते थे. इसी तरह खगौल रोड और हार्डिंग रोड से होते हुए सचिवालय तक विशाल वृक्षों की सड़क के दोनों ओर कतार थी जिसके नीचे चलते हुए गर्मियों में भी बिना धूप का सामना किये लोग सचिवालय तक पहुंच जाते थे.
बेली रोड और खगौल की खत्म हो गयी हरित पट्टी
बेली रोड और खगौल रोड किनारे स्थित अधिकतर वृक्ष आज सड़क चौड़ीकरण में कट चुके हैं और उनके जगह नये वृक्ष नहीं लगाये गये हैं. इससे इस पूरे क्षेत्र की हरित पट्टी समाप्त हो गयी है. केवल हार्डिंग रोड में पुराने विशाल वृक्ष सिंचाई भवन से लेकर चितकोहरा फ्लाइओवर तक बचे हैं क्योंकि पहले से ही काफी चौड़े होने के कारण इनके चौड़ीकरण की जरुरत नहीं पड़ी है.
यहां बड़ी संख्या में कटे पेड़
- गर्दनीबाग क्वार्टर एरिया
गर्दनीबाग क्षेत्र में सरकारी कर्मचारियों के रहने के लिए आवास बने थे. उनमें हर आवास तीन से चार कट्ठे में बने थे. उनके कैंपस में जगह होती थी जहां बड़ी संख्या में पेड़ लगे थे. लेकिन अब पूरे क्षेत्र में बड़े-बड़े बहुमंजिले भवन बना दिये गये हैं और इस क्रम में सभी पेड़ पौधों को काट दिया गया है.
- सेंट जेवियर कॉलेज परिसर
दीघा में सेंट जेवियर कॉलेज परिसर में भी कुछ महीने पहले तक बड़ी संख्या में पेड़ थे. लेकिन इनके एक बड़े हिस्से को कॉलेज परिसर में नये भवन बनाने के क्रम में काट दिया गया.
- पटना एयरपोर्ट परिसर
पटना एयरपोर्ट परिसर में बड़ी संख्या में पेड़ थे. इनको नये टर्मिनल के निर्माण के क्रम में हटाना जरूरी था. लिहाजा उनको जड़ समेत उखाड़कर अटल पथ और मरीन ड्राइव में लगाया गया. लेकिन तीन-चार साल बीतने के बावजूद वहां इनमें से अधिकतर का अब तक स्वाभाविक विकास नहीं हो पाया है.
पेड़ की जड़ों को सीमेंट से जकड़ दिया गया है…
शहर में कई जगह सड़क किनारे स्थित पेड़ के चारों ओर पेवर ब्लॉक बिछा दिया जा रहा है या इस क्रम में उनके जड़ के चारों ओर सीमेंट से चबूतरानुमा ढलाई कर दी जाती है. इससे आसपास के जमीन से पानी रिस कर पेड़ की जड़ों तक नहीं पहुंच पाता और वह धीरे-धीरे सूखने लगता है. इस वजह से सड़क किनारे लगे पेड़ों के उखड़कर गिरने की घटनाएं बहुत बढ़ गयी हैं और हरेक आंधी के बाद राजधानी में पांच-सात पेड़ उखड़कर जरूर गिरते हैं.
ऐसे समझें शहर में कितनी है ग्रीनरी
- 108 वर्ग किमी है पटना नगर निगम का कुल क्षेत्रफल
- 4-5 वर्ग किमी है शहर में कुल हरा-भरा क्षेत्र
- 25% ग्रीन एरिया होना चाहिए शहर में मानकों के अनुसार
- 1.16 वर्ग किमी है पटना का ग्रीन बेल्ट एरिया
- 110 पार्कों का क्षेत्रफल 0.55 वर्ग किमी है यानी 136 एकड़
- 0.61 वर्ग किमी यानी 153 एकड़ है संजय गांधी जैविक उद्यान
ये हैं शहर के अन ऑर्गनाइज्ड ग्रीन एरिया (2-3 वर्ग किमी)
- बिहार विद्यापीठ, दीघा
- हार्डिंग रोड
- मरीन ड्राइव
- फ्लाईओवर के नीचे व डिवाइडर पर पौधे
- शहर में कुछ पुराने बचे हुए पेड़
इनपुट : मनीष कुमार
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