शोषण को रोकने के लिए एसओपी लागू
नयी व्यवस्था के तहत सभी थानों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में संचालित आर्केस्ट्रा, मेला थियेटर और डांस ग्रुप की सूची तैयार करें. सभी आयोजकों से यह लिखित घोषणा लेनी होगी कि उनके किसी कार्यक्रम में कोई नाबालिग लड़की प्रदर्शन नहीं कर रही है. हर तीन महीने पर थानों को समीक्षा बैठक करनी होगी और जिन स्थानों पर नाबालिगों के उपयोग की आशंका हो, वहां छापेमारी कर पीड़ितों को मुक्त कराना होगा. थानाध्यक्षों को यह निर्देश भी दिया गया है कि यदि उन्हें किसी आयोजन में नाबालिग लड़की के नृत्य या प्रदर्शन की सूचना मिले, तो वे तुरंत मुक्ति-दल बनाकर कार्रवाई करें. इस दौरान आइटीपीए-1956 अधिनियम के प्रावधानों के तहत कानूनी प्रक्रिया अपनायी जायेगी और छापेमारी में महिला अधिकारियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति अनिवार्य होगी.
ग्राम पंचायतों में गठित होंगे मानव-व्यापार विरोधी निकाय
आर्केस्ट्रा ग्रुप, मेला-थियेटर और डांस ग्रुप द्वारा किसी नाबालिग की तस्करी अथवा यौन शोषण नहीं किया जा सके इसकी रोकथाम के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर भी निगरानी तंत्र खड़ा किया जायेगा. जिलाधिकारी द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों, स्कूल शिक्षकों, आंगनबाड़ी सेविकाओं, स्थानीय एनजीओ और पुलिस प्रतिनिधियों को मिलाकर ग्राम स्तरीय मानव-व्यापार विरोधी निकाय का गठन किया जायेगा. ये इकाइयां आर्केस्ट्रा व डांस ग्रुपों में संलिप्त नाबालिगों की पहचान में मदद करेंगी और नियमित रूप से समाज में जागरूकता लाने का काम करेंगी. जिला स्तरीय मानव-व्यापार निरोध इकाई (एएचटीयू ) को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी. यह इकाई प्रभावित स्थलों की पहचान, पीड़ितों की मुक्ति, पुनर्वास और संबंधित आरोपियों के खिलाफ त्वरित अभियोजन सुनिश्चित करेगी.
शोषण और मानव-तस्करी पर सजा
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन शोषण व मानव तस्करी से जुड़े अपराधों पर अब कड़ी सजा का प्रावधान है. महिला की लज्जा भंग करने पर तीन साल तक की जेल हो सकती है. नाबालिग को वेश्यावृत्ति में ढकेलने पर 10 साल . बच्चों की खरीद-फरोख्त पर सात से 14 साल तथा यौन शोषण के लिए नाबालिग को ले जाने पर 10 साल की सजा और जुर्माना है. संगठित अपराध में पांच साल से आजीवन कारावास और पांच लाख तक जुर्माना, जबकि तस्करी के लिए 10 साल या आजीवन कारावास का प्रावधान है.
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