नोएडा की तर्ज पर मोदी सरकार बिहार में बनायेगी इंडस्ट्रियल सिटी, मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की तैयारी

Bihar News: मोदी सरकार भारत की विकास यात्रा में तेजी लाने के लिए हर संभव कोशिश करने में जुटी है. इसके लिए केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है. बजट में निर्मला सीतारमण ने इंफ्रा सेक्टर पर अधिक फोकस दिखाया था.

By Ashish Jha | August 27, 2024 1:14 PM
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Bihar News: पटना. मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र की मोदी सरकार बिहार में ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर एक इंडस्ट्रियल सिटी बनाने पर विचार कर रही है. केंद्र सरकार बिहार समेत 12 और जगहों पर ऐसे इंडस्ट्रियल सिटी बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है. इस प्रस्ताव पर अगली केंद्रीय कैबिनेट में मुहर लगने की संभावना है. मोदी सरकार भारत की विकास यात्रा में तेजी लाने के लिए हर संभव कोशिश करने में जुटी है. इसके लिए केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है. बजट में निर्मला सीतारमण ने इंफ्रा सेक्टर पर अधिक फोकस दिखाया था.

अगली कैबिनेट में जा सकता है प्रस्ताव

इस संबंध में बताया जाता है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल इस सप्ताह ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश और धोलेरा, गुजरात की तर्ज पर अलग-अलग राज्यों में 12 नए औद्योगिक शहरों को मंजूरी दे सकता है. 12 औद्योगिक शहरों में से दो आंध्र प्रदेश और एक बिहार में बन रहा है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सरकार ने बजट में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में 100 शहरों में या उसके आसपास ‘प्लग एंड प्ले’ औद्योगिक पार्क विकसित करने की घोषणा की है.

आठ शहर पहले से ही हो रहे तैयार

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के सचिव राजेश कुमार सिंह ने पिछले दिनों समाचार एजेंसी को बताया कि ऐसे आठ शहर पहले से ही कार्यान्वयन के अलग-अलग चरणों में हैं. चार शहरों – धोलेरा (गुजरात), ऑरिक (महाराष्ट्र), विक्रम उद्योगपुरी (मध्य प्रदेश) और कृष्णापटनम (आंध्र प्रदेश) में ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है और उद्योग के लिए भूमि भूखंडों का आवंटन किया जा रहा है. इसी तरह, अन्य चार शहरों में सरकार का वाहन सड़क संपर्क, पानी और बिजली आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रक्रिया में है.

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कुल संख्या 20 तक पहुंच जाएगी

प्रस्तावित 20 शहरों में से आठ पहले से ही विकास के चरण में हैं और बजट में 12 नये शहरों की घोषणा के साथ, देश में इन शहरों की कुल संख्या 20 तक पहुंच जाएगी. इस कदम से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में, भारत के विनिर्माण क्षेत्र ने 4.7 प्रतिशत की वार्षिक उत्पादन वृद्धि दर दर्ज की, देश के सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत का योगदान दिया और इस अवधि के दौरान 57.3 मिलियन श्रमिकों को रोजगार दिया.

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