Bihar News: राज्य में पथ निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों में खराबी की सूचना या शिकायत अब आमलोग भी विभाग को ऑनलाइन दे सकेंगे. संबंधित इंजीनियर और ठेकेदार इसकी जांच कर तीन से सात दिन की समय सीमा में उसे ठीक कर उसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों सहित शिकायतकर्ता को भी दे देंगे. शिकायत पर सड़कों और पुलों को ठीक नहीं करने वाले इंजीनियर और ठेकेदारों पर नियमानुसार कार्रवाई होगी.
यह जानकारी बुधवार को उपमुख्यमंत्री सह पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने पथ-पुल संधारण संबंधित लोक शिकायत निवारण प्रणाली का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों को दी. इस कार्यक्रम का आयोजन पटना के विश्वेश्वरैया भवन स्थित विभागीय कार्यालय में किया गया था.
कॉल सेंटर का होगा गठन
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि भविष्य में सड़क और पुलों से संबंधित शिकायत प्राप्त करने के लिए कॉल सेंटर का भी गठन किया जायेगा. उसमें कॉल रिकॉर्डिंग की व्यवस्था रहेगी और शिकायत निवारण के बाद शिकायतकर्ता कार्रवाई से अवगत भी हो सकेंगे. उन्होंने बताया कि लोक शिकायत निवारण प्रणाली लागू होने से पूर्ण पारदर्शिता के साथ-साथ सड़कों और पुलों का बेहतर रखरखाव हो सकेगा.
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पहले ठेकेदार को दी जाती थी जिम्मेदारी
वर्तमान में पथ निर्माण विभाग अंतर्गत लगभग-9500 किमी लंबाई में सड़कों का रखरखाव ओपीआरएमसी के तहत किया जा रहा है. इस नीति के तहत सड़कों के निर्माण के साथ ही सात साल के लिए रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार को दी जाती है. इसके तहत अब तक मात्र क्षेत्रीय अभियंताओं द्वारा ही सड़कों की खराबी को मोबाइल ऐप पर अपलोड करने की सुविधा दी गई थी. इसका निराकरण ठेकेदार करते थे. अब आमलोग भी कर सकेंगे.
सूचना देने की यह होगी प्रक्रिया
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि पथ निर्माण विभाग की बेवसाइट में दिये Publice Greivance OPRMC Road Redressal System पर शिकायतकर्ताओं को अपना नाम, मोबाइल नंबर, जिला का नाम, पथ का नाम, त्रुटि का प्रकार को अंकित करते हुए स्थल का जियो टैग किया फोटोग्राफ अपलोड करना होगा.
वह शिकायत और फोटोग्राफ कंट्रोल और कमांड सेंटर के माध्यम से संबंधित जिला के कनीय अभियंता, सहायक अभियंता, कार्यपालक अभियंता और ठेकेदार को ऑनलाइन भेज दिया जायेगा. खराबी को ठीक कर ठेकेदार निर्धारित समय सीमा में स्थल का फोटोग्राफ अपलोड करेंगे. अभियंताओं द्वारा स्थल निरीक्षण कर मानक के अनुसार मरम्मति किये जाने पर उसे स्वीकार किया जायेगा, अन्यथा ठेकेदार को फिर मरम्मति का निर्देश दिया जायेगा. इस व्यवस्था से पूर्ण पारदर्शिता के साथ-साथ सड़कों और पुलों का रखरखाव हो सकेगा.
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