आपसी वर्चस्व के कारण बढ़ रही हैं बाघों की मौतें
बीते एक महीने में वीटीआर के हरनाटाड़ और भिखनाठोरी क्षेत्रों में एक बाघ और एक बाघिन की मौत आपसी वर्चस्व की लड़ाई में हो चुकी है. यह स्थिति वन्यजीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है. वन विभाग के प्रधान मुख्य संरक्षक पीके गुप्ता ने वाल्मीकि नगर दौरे के दौरान इन घटनाओं पर चिंता जताई और एसटीपीएफ के गठन को आवश्यक बताया.
3 प्लाटून में 90 जवान होंगे शामिल
वीटीआर के निदेशक सह संरक्षक नेशामनी के अनुसार, एसटीपीएफ के तहत तीन प्लाटून गठित किए जाएंगे. प्रत्येक प्लाटून में 30 विशेष रूप से प्रशिक्षित जवान होंगे, जो बाघों, शावकों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. इन जवानों को जिला पुलिस के सहयोग से तैनात किया जाएगा. प्लाटून के संचालन की जिम्मेदारी प्रति प्लाटून 6 फॉरेस्टरों को दी जाएगी, यानी कुल 18 फॉरेस्टर इसकी निगरानी करेंगे.
महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश में होगी ट्रेनिंग
एसटीपीएफ के जवानों को विशेष प्रशिक्षण देने के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र भेजा जाएगा, जहां पहले से ही इस तरह की फोर्स प्रभावी ढंग से काम कर रही है. जवानों को बाघों के रहवास (हैबिटेट) की सुरक्षा, पोचर्स की पहचान और नियंत्रण, तथा आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) करेगी.
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