इन जिलों से मांगी गई रिपोर्ट
वहीं, जिन 6 जिलों में पत्थर खनन की संभावना जताई गई है उनमें गया, नवादा, शेखपुरा, औरंगाबाद, बांका और कैमूर शामिल है. सूत्रों के अनुसार, डीएसआर (डिस्ट्रिक सर्वे रिपोर्ट) में यह जिक्र होगा कि जिले में किस पहाड़ से पत्थर खनन किया जा सकता है ? उसका एरिया क्या है ? खनन के बाद निकलने वाले पत्थर की मात्रा क्या होगी ? तमाम पहलुओं को जानने और समझने के बाद ही आगे की प्रक्रिया की जाएगी.
इस वजह से खनन का लिया निर्णय
बता दें कि, बिहार में यह बड़ा कदम पत्थर की बढ़ती मांग और झारखंड पर निर्भरता घटाने को लेकर उठाया गया है. तो वहीं, पहले फेज में उन्हीं 6 जिलों में पतथर खनन को लेकर निर्णय लिया गया. इधर, बांका जिला को लेकर कहा जा रहा है कि, यदि इस जिले में खनन का परमिशन मिलता है तो, प्रमंडल स्तर पर बालू के बाद राजस्व संग्रहण का सबसे बड़ा जिला बन जाएगा. साथ ही लोगों को खनन के लिए रोजगार भी मिल सकेगा. यानी कि, अगर इन 6 जिलों में पहले फेज में खनन की अनुमति मिलती है तो राजस्व और रोजगार दोनों मिलेगा.
शेखपुरा और गया में पहले से पत्थर खनन
इस बीच सूत्रों के अनुसार, राज्य में इस समय केवल दो जिले की आठ स्थलों से पत्थर का खनन हो रहा है. इसमें शेखपुरा जिले में सात और गया जिला में एक खनन पट्टा वाले स्थल शामिल हैं. इन स्थलों से निकलने वाले पत्थरों से राज्य के निर्माण कार्यों में अपेक्षित मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही है. इस कारण झारखंड सहित अन्य राज्यों से पत्थर मंगवाये जा रहे हैं. सरकारी निर्माण कार्यों में पत्थर की अधिक खपत को देखते हुए सरकार की तरफ से झारखंड में भी पत्थर खनन का पट्टा कार्य विभागों या उसके निगम को प्राप्त करने की संभावनाओं की तलाश के लिए कहा गया है. इसके लिए बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन को फ्रेमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया गया है.
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