उनके आवास को ही बनाया गया है म्यूजियम
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आवास को 1969 में संग्राहलय में तब्दील कर दिया गया. इस संग्रहलय को उनकी स्मृतियों को संजोने के उद्देश्य से बनाया गया था. पर्यटक यहां आकर राजेंद्र बाबु के पुरे जीवन, उनके त्याग और राष्ट्र के प्रति उनके प्रेम को बहुत करीब से समझ पाते है.
उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकें भी हैं मौजूद
यहां उनके द्वारा इस्तेमाल की गई निजी वस्तुएं, दुर्लभ तस्वीरें, उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकें, इसके साथ ऐतिहासिक दस्तावेज और अन्य कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं. ये सभी चीजें आज भी उनकी सादगी, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रभक्ति की कहानी बयां करती हैं. यह संग्रहालय न सिर्फ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वास्तुकला प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है.
इसी आवास से शुरू हुई थी यात्रा
इसी खपरैल वाले घर से डॉ. राजेंद्र प्रसाद का केंद्रीय मंत्री बनने का सफर शुरू हुआ था. वर्ष 1946 में जब उन्हें पहली बार केंद्रीय मंत्री बनाया गया, तो वे यहीं से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे. 12 वर्षों तक राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद अपने कार्यकाल की समाप्ति पर वे फिर से यहीं लौटे. यही घर उनका सच्चा ठिकाना था.
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