बाढ़ अवधि में ही सूख गयी बिहार की तीन नदियां, 11 नदियों में नापने लायक भी पानी नहीं

Bihar News: मैं नदिया फिर भी मैं प्यासी, भेद ये गहरा बात जरा सी...गीतकार शैलेन्द्र के इस गीत का अर्थ आज बिहार का जल संसाधन विभाग खोज करा है. बाढ़ अवधि में ही नदियां सूख गयी हैं. इसका भेद विभाग पता लगाने की बात कह रहा है, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि जरा सी बात को न जनता समझ रही है और न सरकार समझने को तैयार है.

By Ashish Jha | October 30, 2024 12:39 PM
an image

Bihar News: पटना. बिहार की तीन नदियां बाढ़ की अवधि में ही सूख गयी हैं. 11 नदियों में पानी इतना कम है कि उसे मापा नहीं जा सकता. हालात ऐसे हैं कि कोसी जैसी नदियों में भी अक्टूबर में ही डेल्टा बनने लगा है, जबकि मॉनसून की विदाई हुए अभी एक माह भी नहीं हुआ है. बाढ़ की अवधि सामान्यत: 31 अक्टूबर तक मानी जाती है, लेकिन बिहार की नदियों के सूखने का सिलसिला अक्टूबर मध्य में ही शुरू हो गया है. हाल यह है कि कुछ दिन पहले तक जिन नदियों का जलस्तर खतरे से ऊपर था, वह भी सूख गई हैं. सरकार ने इस स्थिति की जांच का फैसला लिया है.

बिहार में तेजी से नीचे गिरा भूजल स्तर

बिहार में ऐसा पहली बार है कि बाढ़ अवधि (बिहार में 31 अक्टूबर) में ही नदियों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा है. इन नदियों के आसपास के क्षेत्रों में भू-जल नीचे चला गया है. राज्य सरकार की रिपोर्ट की मानें तो तीन नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं, जबकि 11 नदियों में पानी मापने योग्य भी नहीं रह गया है. कई जगहों पर सिर्फ गीली सतह ही शेष रह गई है. पानी गेज स्थल के नीचे जा चुका है. इनमें से कई नदियां तो मॉनसून के दौरान खतरे के निशान तक पहुंची थीं. रिपोर्ट के अनुसार नदियों के सूखने का सिलसिला तेजी से बढ़ रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार यदि ऐसा ही रहा तो कुछ ही दिनों में बड़ी संख्या में नदियां सूख जाएंगी.

रिकॉर्ड तोड़ पानी आने के बाद भी ये स्थिति

सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार में इस साल सारी नदियों में भरपूर पानी आया. कोसी ने 5 तो गंडक ने 3 दशकों का रिकॉर्ड तोड़ा. 11 नदियों ने उच्च जलस्तर का रिकॉर्ड बनाया. जल संसाधन विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार महज एक माह में ही 100 मीटर से अधिक का जलस्तर न्यूनतम स्तर पर आ गया. रोहतास जिले की अवसाने नदी में 1 अक्टूबर को 102 मीटर पानी था. इस नदी में आज मापने योग्य पानी नहीं है. जुलाई में काव नदी में 103.38 मीटर पानी था. आज नदी पूरी तरह सूख चुकी है. नवादा में सकरी नदी में 80 मीटर पानी था, आज वहां से भी पानी गायब है.

Also Read: सनातन धर्म के साक्त परंपरा में बलि का है खास महत्व, अनुष्ठान से पहले रखें इन बातों का ध्यान

40 से 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई संकट

इन नदियों से 40 से 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती थी. खासकर सकरी और काव नदी से जुड़ी सिंचाई परियोजनाएं भी हैं. बीते कुछ दिनों से सिंचाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. हाल के दिनों में जो नदियां सू्खी हैं और जिन नदियों में मापने योग्य पानी भी शेष नहीं रह गया है, वे 10 लाख से अधिक आबादी को प्रभावित कर रही हैं. इनमें रोहतास, नवादा, नालंदा, सीतामढ़ी, कटिहार, गया और बांका जिले का बड़ा इलाका शामिल है. नदियों के सूखने सेआस-पास के कई और जिलों पर भी प्रभाव पड़ा है. नदियां 2 से 10 किलोमीटर के कई स्ट्रेच में सूखी हैं. कहीं-कहीं तो इससेअधिक लंबाई में नदियों में पानी नहीं दिखता. यही नहीं इन नदियों में अधिसंख्य 20 से 40 मीटर तक की चौड़ाई में हैं. खासकर शहरी व कस्बाई इलाकों में नदियों में पानी अधिक मात्रा में गायब है. यहां नदियां अतिक्रमण की भी शिकार हुई हैं.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

यहां पटना न्यूज़ (Patna News) , पटना हिंदी समाचार (Patna News in Hindi), ताज़ा पटना समाचार (Latest Patna Samachar), पटना पॉलिटिक्स न्यूज़ (Patna Politics News), पटना एजुकेशन न्यूज़ (Patna Education News), पटना मौसम न्यूज़ (Patna Weather News) और पटना क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर.

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version