नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार का परफॉर्मेंस बेहतर, झारखंड की वित्तीय स्थिति पहले से मजबूत

NITI Aayog: गुणवत्तापूर्ण खर्च के मामले में बिहार का ओडिशा के बाद देश में दूसरा स्थान है. नीति आयोग ने यह सूचकांक वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्यों के वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर तैयार किया है.

By Ashish Jha | February 4, 2025 5:40 AM
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NITI Aayog: पटना, कैलाशपति मिश्र. नीति आयोग ने देश के 18 बड़े राज्यों की वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक (एफएचआइ) के आधार पर पहली बार रैकिंग जारी की है. इसमें राज्यों को चार श्रेणियों में बांटे गये हैं. उसमें परफॉर्मर श्रेणी के राज्यों में बिहार का तीसरा स्थान है. वहीं, गुणवत्तापूर्ण खर्च के मामले में बिहार का ओडिशा के बाद देश में दूसरा स्थान है. नीति आयोग ने यह सूचकांक वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्यों के वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर तैयार किया है. ओवर ऑल प्रदर्शन में देश में ओडिशा पहले तो पंजाब अंतिम स्थान पर रहा है. दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ तो तीसरे स्थान पर गोवा रहा. आंध्र प्रदेश नीचे से दूसरा और बंगाल नीचे से तीसरे स्थान पर रहा. बिहार 13वें स्थान पर है. वहीं, झारखंड की वित्तीय स्थिति पहले की तुलना में मजबूत हुई है और सूचकांक में झारखंड चौथे स्थान पर है.

नीति आयोग की एफएचआइ रिपोर्ट में बिहार का आकलन

गुणवत्तापूर्ण व्यय के मामले में बिहार का अच्छा स्कोर है. पिछले 5 वर्षों की अवधि में पूंजीगत व्यय में 8.4% की दर से वृद्धि हुई है. वर्ष 2022-23 में कुल व्यय के अनुपात में यह लगभग 14% था. इस दौरान सामाजिक और आर्थिक सेवाओं पर पूंजीगत व्यय कुल व्यय का 13% था. राज्य में आर्थिक सेवाओं के तहत ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रशिक्षण में 305% की वृद्धि हुई, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण में 1,360% की वृद्धि हुई तथा पर्यटन व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई.

बिक्री और व्यापार पर करों में भी उल्लेखनीय सुधार

बिहार ने वेतन और मजदूरी, पेंशन और ब्याज भुगतान जैसी प्रतिबद्ध देनदारियों पर कुल राजस्व व्यय का 34.3% खर्च किया है, जिससे 2022-23 में प्राथमिकता क्षेत्र के व्यय के लिए केवल 65.7% शेष रह गया है. इस दौरान जीएसडीपी में राज्य के स्वयं के कर राजस्व का कुल हिस्सा 5.8% था और पिछले 5 वर्षों में 8.4% की सीएजीआर से बढ़ा है. स्वयं के कर राजस्व में 26.2% की वृद्धि हुई जो प्रमुख राज्यों के औसत से अधिक है. बिक्री और व्यापार पर करों में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ, पिछले वर्षों में गिरावट के बाद इसमें 43.7% की वृद्धि हुई. राज्य जीएसटी ने भी सकारात्मक योगदान दिया.

वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक को उद्देश्य

एफएचआइ का उद्देश्य राज्यों की वित्तीय स्थिति पर प्रकाश डालना और टिकाऊ के साथ-साथ लचीले आर्थिक विकास के लिए नीति सुधारों का मार्गदर्शन करना है. रिपोर्ट राज्यों को समग्र राजकोषीय सूचकांक के आधार पर रैंक करती है, जो पांच प्रमुख उप-सूचकांकों पर आधारित है, व्यय की गुणवत्ता, राजस्व जुटाना, राजकोषीय विवेक, ऋण सूचकांक और ऋण स्थिरता है.यह एक तरह से राज्य मजबूत राजकोषीय स्वास्थ्य रेखांकित करता है.

जिन पांच बिंदुओं पर हुआ मूल्यांकण

रिपोर्ट में पांच प्रमुख बिंदुओं- व्यय की गुणवत्ता, राजस्व जुटाना, राजकोषीय विवेक, ऋण सूचकांक और ऋण स्थिरता के आधार पर 18 प्रमुख राज्यों के राजकोषीय स्वास्थ्य का व्यापक मूल्यांकन किया गया है. साथ ही राज्य-विशिष्ट में चुनौतियों और सुधार के क्षेत्रों के बारे में जानकारी भी दी गयी.

प्रदर्शन के आधार पर राज्यों को चार समूहों में बांटा गया

वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक ने 2022-23 में उनके प्रदर्शन के आधार पर 18 राज्यों को अचीवर, फ्रंटरनर, परफॉर्मर और एस्पिरेशनल के चार समूहों में बांटा है.

श्रेणी राज्य

अचीवर राज्य – ओडिशा, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड और गुजरात
फ्रंटरनर – महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और कर्नाटक
परफॉर्मर – तमिलनाडु, राजस्थान, बिहार और हरियाणा
एस्पिरेशनल – केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और पंजाब

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