Bihar Police: नारकोटिक्स विंग होगा प्रोहिबिशन यूनिट के साथ मर्ज, नशे का नेटवर्क का अब होगा सफाया

Bihar Police: बिहार में 2023 में साइबर फ्रॉड मामलों में रिकॉर्ड उछाल आया है. ठगी के तरीके तेजी से बदले हैं, KYC अपडेट, बिजली बिल, इनाम जीतने के झांसे, और अब AI आधारित वॉयस क्लोनिंग तक का इस्तेमाल हो रहा है.

By Ashish Jha | June 17, 2025 10:08 AM
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Bihar Police: पटना. बिहार में नशे के नेटवर्क को खत्म करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने एक अचूक प्लान तैयार किया है. पुलिस मुख्यालय का मानना है कि उसके इस प्लान से राज्य में नशे के नेटवर्क का काफी हद तक सफाया हो जायेगा. डीजीपी डीजीपी विनय कुमार ने खुद नशे के खिलाफ भी मोर्चा खोलने का एलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि नारकोटिक्स विंग को प्रोहिबिशन यूनिट के साथ मर्ज कर इसे एडीजी और आईजी की निगरानी में लाया जाएगा.

एडीजी और आईजी करेंगे सीधी निगरानी

फिलहाल पूरे साइबर क्राइम की निगरानी आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के जिम्मे है, जो साइबर, नारकोटिक्स और फाइनेंशियल फ्रॉड तीनों को देख रही है, लेकिन अब साइबर क्राइम के लिए अलग विंग और नारकोटिक्स के लिए अलग प्रोहिबिशन विंग गठित करने की तैयारी हो चुकी है. एडीजी और आईजी स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति जल्द घोषित की जाएगी, ताकि अपराध पर तेज, फोकस्ड और दमदार प्रहार हो सके.

साइबर क्राइम बना “बड़ा चैलेंज”

डीजीपी विनय कुमार ने साइबर क्राइम को पुलिस के लिए “बड़ा चैलेंज” माना है. डीजीपी के अनुसार, साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी भले हो रही हो, मगर ठगी का नेटवर्क राज्य के कोने-कोने तक फैला है. उन्होंने कहा कि बिहार की गलियों से अब हथियारबंद लुटेरे नहीं, बल्कि कीबोर्ड और कोड से लैस अपराधी निकल रहे हैं, जिनका निशाना आपकी जेब, बैंक और पहचान है. बिहार में साइबर क्राइम अब अपराध की सबसे खतरनाक नई शाखा बन चुका है.

पूरे बिहार में डिजिटल गिरोह सक्रिय

बिहार की पुलिस पर अब सिर्फ अपराधियों की गोली से नहीं, बल्कि साइबर ठगों के स्क्रीन से निकल रही चालाकियों से भी वार हो रहा है. मोबाइल कॉल, फर्जी लिंक, QR कोड और क्लोन एप्स के जरिए आम आदमी को शिकार बनाया जा रहा है. डीजीपी ने अपराधियों के इस नए जाल को काटने के लिए जिला स्तर पर 40 साइबर थानों की तैनाती का एलान किया है. हर थाना एक डीएसपी और तीन प्रशिक्षित पुलिस पदाधिकारियों के नेतृत्व में काम करेगा.

साइबर गैंग अब ‘हाईटेक ठगों’ की नई जमात

मुख्यालय से रेंज डीआईजी को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी साइबर केस की निगरानी खुद करें. डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि एक हफ्ते के भीतर साइबर थानों की कमियों को ठीक कर लिया जाएगा.” बिहार पुलिस अब इस बात को समझ चुकी है कि “21वीं सदी के अपराधी हथियार से नहीं, वाई-फाई से मारते हैं.” ये वे अपराधी हैं जो बिना बंदूक, बिना चाकू- लोगों के बैंक अकाउंट, पहचान पत्र और डिजिटल ट्रांजैक्शन लूट लेते हैं.

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