Bihar Politics: 15 दिन में माफी नहीं तो केस! पप्पू यादव, रोहिणी आचार्या समेत इन नेताओं को BJP लीगल सेल का नोटिस

Bihar Politics: नकली दवा मामले में मंत्री जीवेश मिश्रा पर की गई टिप्पणियों को लेकर भाजपा लीगल सेल ने पप्पू यादव, रोहिणी आचार्या, राजेश राम समेत कई नेताओं को लीगल नोटिस भेजा है. पार्टी ने 15 दिन में माफी नहीं मांगने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.

By Abhinandan Pandey | July 14, 2025 5:19 PM
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Bihar Politics: राजस्थान के राजसमंद कोर्ट से नकली दवा मामले में दोषी करार दिए गए बिहार सरकार के नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा को लेकर सियासी घमासान गहराता जा रहा है. भाजपा लीगल सेल ने इस मुद्दे पर तीखी टिप्पणियों के लिए सांसद पप्पू यादव, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और अन्य नेताओं को लीगल नोटिस भेजा है.

भाजपा लीगल सेल के कोऑर्डिनेटर ने दी जानकारी

भाजपा लीगल सेल के कोऑर्डिनेटर आर. दीक्षित ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इन नेताओं ने बिना तथ्यों की जांच किए मंत्री जीवेश मिश्रा के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी की है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 15 दिन के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी गई तो इन सभी पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. आर. दीक्षित ने साफ किया कि मंत्री जीवेश मिश्रा का किसी भी दवा कंपनी से सीधा संबंध नहीं है, वे न तो किसी कंपनी के मालिक हैं और न ही उनकी किसी कारोबारी गतिविधि में भूमिका है.

पप्पू यादव ने जीवेश मिश्रा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की थी

गौरतलब है कि नकली दवा मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद सांसद पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जीवेश मिश्रा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की थी. वहीं, रोहिणी आचार्या ने ट्वीट कर नीतीश सरकार को ‘लाचार और समझौतावादी’ करार दिया था. कांग्रेस नेता राजेश राठौड़ ने भी नकली दवाओं के नेटवर्क की जांच की मांग उठाई थी.

वर्ष 2010 का है मामला

दरअसल, यह मामला वर्ष 2010 का है जब राजस्थान के देवगढ़ में कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर्स के गोदाम से लिए गए सिप्रोलिन-500 टैबलेट के सैंपल मिलावटी पाए गए थे. सप्लाई करने वाली कंपनियों में ऑल्टो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आया, जिसके निदेशक जीवेश मिश्रा थे.

राजसमंद कोर्ट ने 4 जून 9 लोगों को ठहराया था दोषी

राजसमंद कोर्ट ने 4 जून 2025 को मिश्रा समेत 9 लोगों को दोषी ठहराया और 1 जुलाई को सजा सुनाते हुए 7000 रुपये का जुर्माना भरवाकर परिवीक्षा अधिनियम के तहत सदाचार बनाए रखने की शर्त पर रिहा कर दिया. अब भाजपा लीगल सेल की सख्ती से यह मामला और तूल पकड़ता दिख रहा है. विपक्षी नेताओं पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है, जिससे बिहार की सियासत में नया मोड़ आ सकता है.

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