Bihar Politics: कन्हैया IN, अखिलेश OUT और दलित को कमान, कांग्रेस में क्या चल रहा

Bihar Politics कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार का सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की एक बड़ी जिम्मेवारी अल्लावरु को दिया था. वे अपने मिशन में सफल भी होते दिख रहे हैं.

By RajeshKumar Ojha | March 23, 2025 7:42 PM
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Bihar Politics: बिहार में लालू यादव की आरजेडी के साथ कांग्रेस है या गठबधंन का बंधन टूट गया है. यह सवाल सियासी गलियों में चर्चा का विषय बना है. इसपर रविवार को जब पत्रकारों ने कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा से पूछा तो वे भी इसका जवाब टाल गए. इसके बाद से इसकी चर्चा तेज हो गई है कि गठबंधन का बंधन ढीला पड़ा या फिर टूट गया.

अखिलेश को हमने प्रदेश अध्यक्ष बनवाया

दरअसल, इसपर चर्चा अखिलेश प्रसाद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी जाने के बाद तेज हो गई है. अखिलेश प्रसाद सिंह को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद का खास माना जाता था. लालू प्रसाद ने खुद ही कहा था कि सोनिया गांधी से कहकर अखिलेश प्रसाद सिंह को मैंने ही प्रदेश अध्यक्ष बनवाया हूं. अखिलेश प्रसाद सिंह रांची में मेरे पास किसी और की पैरवी लेकर आए थे. लेकिन मैंने इनसे कहा तुम ही को प्रदेश अध्यक्ष बनवा देते हैं. इसके बाद हमने सोनिया गांधी से कहकर अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनवा दिया.

लालू की छवि से बाहर निकलने का प्लान

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ने के साथ ही कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने पहले बिहार कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश को हटाकर युवा नेता कृष्णा अल्लावरु नियुक्त किया. इससे पहले सहप्रभारी के तौर पर शाहनवाज आलम और सुनील पासी की नियुक्ति की गई. तीनों ही नेता युवा हैं और राहुल गांधी की करीबी माने जाते हैं. कृष्णा अल्लावरु से पहले बिहार कांग्रेस में पिछले दो दशक से एक रिवाज सा बन गया था कि जो भी बिहार कांग्रेस का प्रभारी या प्रदेश अध्यक्ष बनता था, वो लालू प्रसाद यादव के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए जरूर जाता था.

लेकिन, इस दफा न तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और न ही कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के दरबार में अपनी हाजरी नहीं लगाई है. लालू प्रसाद से जुड़े सवाल पर भी दोनों टाल दे रहे हैं. इसके साथ ही कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु साफ कहा कि कांग्रेस आरजेडी की बी-टीम नहीं है, विधानसभा चुनाव में ए-टीम की तरह लड़ेगी. सीट शेयरिंग पर सम्मानजनक समझौता होगा. यही बात शाहनवाज आलम लगातार कह रहे हैं. कृष्णा अल्लावुरु ने अपने तरीके से इसके संकेत दे दिए हैं कि वो किसी के पिछलग्गू बनकर कांग्रेस अब नहीं चलेगी.


कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार का सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की एक बड़ी जिम्मेवारी कृष्णा अल्लावरु को दिया था. वे अपने मिशन में सफल भी होते दिख रहे हैं. एक महीने के भीतर पहला विकेट अखिलेश प्रसाद सिंह का गिराकर कांग्रेस नेताओं के बीच उन्होंने यह संकेत देने का प्रयास किया है कि कांग्रेस को कांग्रेस चलायेगी, लालू प्रसाद नहीं चलायेंगे. अखिलेश प्रसाद को लालू यादव का करीबी माना जाता है.

आरजेडी से ही कांग्रेस में अखिलेश आए हैं. उन्हें राज्यसभा भेजने में भी लालू प्रसाद की महत्वपूर्ण भूमिका थी. कांग्रेस और आरजेडी को गठबंधन की डोर में बांधे रखने में अखिलेश सिंह की अहम भूमिका मानी जाती. कांग्रेस पार्टी के भीतर एक ऐसा वर्ग है जो लालू यादव की छाया से पार्टी को निकलने की वकालत करते रहे हैं. ऐसे में अखिलेश प्रसाद की प्रदेश अध्यक्ष से उनकी विदाई लालू के करीबी होने के चलते मानी जा रही.

राहुल गांधी के खास हैं बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावुरु

बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश प्रसाद यादव की छुट्टी करने से पहले लालू प्रसाद के विरोध के बावजूद अपने फायरब्रांड और युवा नेता कन्हैया कुमार की बिहार में एंट्री कराई. 16 मार्च से वे बिहार में यूथ कांग्रेस के बैनर तले ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा पर हैं. प्रभारी बनने के बाद कृष्णा अल्लावरु को यह पता था कि अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाने से कांग्रेस को सवर्णों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी.

यही कारण है कि उन्होंने अखिलेश को हटाने से पहले कन्हैया का बिहार में एंट्री कराया. ताकि बिहार में पार्टी का सोशल इंजीनियरिंग नहीं खराब हो. बता दें कि बिहार में वर्ष 1990 से पहले सवर्ण, दलित और अल्पसंख्यक कांग्रेस के वोटर हुआ करते थे. कांग्रेस इस दफा अपने कोर वोटरों को साधने में लगी है.

राजेश राम को ताज कन्हैया एक्टिव कांग्रेस में क्या हो रहा है

राजेश राम को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष की ताज, कन्हैया कुमार के बिहार में एक्टिव कर कांग्रेस ने आरजेडी को साफ कर दिया है कि गठबंधन में कांग्रेस सम्मानजनक तरीके से रहेगी, न की पिछलग्गू बनकर. कांग्रेस बिहार में फ्रंट फुट खेलेगी. इसके साथ ही कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में आरजेडी की तरफ से मिलने वाले सीटों के ‘ऑफर’ को एक झटके में कबूल नहीं करेगी. कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने अपना लिस्ट बनाया है. कांग्रेस इस सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस शर्त पर गठबंधन हुआ तो ठीक है वरणा अकेले चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है.

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