लोकसभा चुनाव में लालू ने खेला था कुशवाहा दावं
मधुबनी जिले के अति पिछड़ी जाति धानुक परिवार में पैदा हुए मंगनी लाल मंडल अति पिछड़ी जाति के नामचीन नेताओं में एक हैं. राजद को उनके सहारे मतदाताओं की संख्या के रूप में सबसे सशक्त ग्रुप अति पिछड़ी जातियों में सेंधमारी चाहता है. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में राजद ने पिछड़ी जाति के सशक्त कुशवाहा बिरादरी को अपने साथ लाने की कोशिश की थी. अभय सिंह कुशवाहा को औरंगाबाद लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्हें यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ जीत भी हासिल हुई.
राजनीति का दावं
लालू प्रसाद के प्रभाव के कारण राजद की सहयोगी कांग्रेस ने कुशवाहा जाति से आने वाले अंशुल अविजित को पटना साहेब लोकसभा सीट से तथा काराकाट सीट से भाकपा माले के राजाराम सिंह को उम्मीदवार बनवाया था. इसका नतीजा हुआ कि पटना साहेब में जीत तो भाजपा की ही हुई, लेकिन निकट की पाटलीपुत्र, काराकाट और औरंगाबाद की सीट महागठबंधन की झोली में चली गयी. इसका असर आरा,सासाराम और बक्सर लोकसभा सीट पर दिखी. लालू प्रसाद राजनीति का यह दावं इस बार अति पिछड़ी जाति के नेता मंगनी लाल मंडल पर लगाना चाहते हैं.
इस बार राजद का दाव अति पिछड़ी जातियों पर
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. उसे जीत 75 सीटों पर मिली. सहयोगी दलों की सीट जोड़ने के बाद भी सरकार बनाने के जादुई आंकड़ा 122 को पार नहीं कर पाया था. इसका मलाल राजद को अभी भी दिख रहा है. इसिलिए राजद सुप्रीमो के इस रणनीति को पार्टी के जनाधार को लेकर नये प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है. बिहार में अति पिछड़ी जातियों की आबादी कुल आबादी का 36 फीसदी से अधिक है. अभी तक इस वर्ग के वोट बैंक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पकड़ रही है. राजद इस वोट बैंक में सेंधमारी की जुगत में है.
कौन हैं मंगनी लाल मंडल
मंगनी लाल मंडल राजद में हाल ही में शामिल हुए हैं. वे झंझारपुर लोकसभा से चुनाव जीत चुके हैं. इससे पहले, वे 1986 से 2004 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे. इस अवधि के दौरान, वे राज्य कैबिनेट में मंत्री भी रहे. 2004 से 2009 तक वे राज्य सभा के सदस्य भी बने थे. इनकी राजनीतिक ताकत-ये अति पिछड़ा वर्ग की धानुक जाति से आती है. राजद ने इसी वोट बैंक के मद्देनजर मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में लाया जा रहा है.
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