‘जो घर-परिवार का नहीं, वो किसी का नहीं’
दरअसल, जीतन राम मांझी ने ‘दामाद’ के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला. उन्होंने खुलासा किया कि, आखिर क्यों तेजस्वी ने ‘दामाद’ का मुद्दा उठाया. पोस्ट के जरिये इशारे में ही यह कह दिया कि, उन्होंने अपने भाई (तेज प्रताप) को पहले ही घर से बाहर निकाल दिया है. अब वे बहन और बहनोई को बाहर करने के लिए ‘दामाद’ का मुद्दा उठा रहे हैं. जीतन राम मांझी का यह भी कहना हुआ कि, ‘जो घर-परिवार का नहीं, वो किसी का नहीं हो सकता है.’ इस तरह से जीतन राम मांझी के पोस्ट से सियासी हलचल मच गई है.
पोस्ट के जरिये कही बड़ी बात
आज सुबह जीतन राम मांझी की ओर से किए गए पोस्ट पर विस्तार रूप से बात की जाए तो, उन्होंने लिखा कि, “भाई को तो पहले ही घर से बाहर निकाल दिया है अब बहन और बहनोई को बाहर करने के लिए “दामाद” का मुद्दा उठाया जा रहा है ताकि भविष्य में “गब्बर सिंह” यदि बेटी-दामाद को कहीं सेट करने की बात कहें, तो यह कहकर मना कर दिया जाए कि हमने तो खुद ही “दामाद” का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरा था इसलिए बेटी/दामाद को किसी भी कीमत पर एडजस्ट नहीं किया जाएगा.” आगे उन्होंने सीधा-सीधा यह लिखा कि, “जो घर-परिवार का नहीं वह किसी का नहीं.”
दामाद आयोग के गठन का आरोप
इस तरह से देखा जा सकता है कि, जीतन राम मांझी लगातार अपनी प्रतिक्रिया इस मुद्दे पर दे रहे हैं. वहीं, पिछले कुछ दिनों की बात की जाए तो, विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने कई बोर्ड और आयोगों का पुनर्गठन किया. जिसमें यह देखा गया कि, अनुसूचित आयोग का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के जीजा मृणाल पासवान को बनाया गया था. इसके साथ ही इस आयोग के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के दामाद देवेंद्र कुमार को सौंपी गई. इसी के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ओर से दामाद आयोग के गठन की बात कही गई थी. जिसे लेकर अब तक वार-पलटवार का सिलसिला जारी है.
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