Bihar: राष्ट्रीय लोक मोर्चा का 15 सीटों पर तैयारी, उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी भी हो सकती उम्मीदवार

Bihar: रोहतास के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने की चर्चा हो रही है. डेहरी-ऑनसोन विधानसभा से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा क्षेत्र में हो रही है. हालांकि पार्टी ने इससे इन्कार किया है.

By Ashish Jha | June 25, 2025 11:06 AM
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Bihar: मनोज कुमार, पटना. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो 15 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है. पार्टी शाहाबाद, सीतामढ़ी, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर और मगध और वैशाली के इलाके में सीटें चाह रही है. खासकर बीते चुनाव में जहां से महागठबंधन के कुशवाहा उम्मीदवार जीते हैं, उन सीटों पर पार्टी की नजर है. इधर, उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी के भी चुनाव लड़ने की चर्चा है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है. रोहतास के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने की चर्चा हो रही है. डेहरी-ऑनसोन विधानसभा से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा क्षेत्र में हो रही है. हालांकि पार्टी ने इससे इन्कार किया है.

सधे कदमों से राजनीतिक डगर चल रहे कुशवाहा

एनडीए में शामिल भाजपा, जदयू और हम पार्टी के नेता लगातार राजद, कांग्रेस और अन्य दलों पर हमलावर हैं. भाजपा, जदयू और हम के नेता हर दिन राजद नेता लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव पर तीखे बयानबाजी कर रहे हैं. मगर, कुशवाहा प्रसंगवश ही लालू प्रसाद और तेजस्वी प्रसाद पर हमलावर होते दिखते हैं. सीट बंटवारे पर जवाब देने से अक्सर बचते हैं. सीट बंटवारे पर उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि यह उनकी पार्टी और एनडीए के बीच का मामला है. सीट बंटवारे की बात वे एनडीए नेताओं के सामने रखेंगे. इसके बाद इसे सार्वजनिक करेंगे. रालोमो के प्रदेश प्रवक्ता रामपुकार सिन्हा का कहना है कि पार्टी की सभी सीटों पर एनडीए को जीत दिलाने की तैयारी है. सीटों को लेकर अभी कोई बात नहीं हुई है. उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी के चुनाव लड़ने की पार्टी में कोई चर्चा नहीं है. पार्टी की ओर से हर प्रमंडल में संवैधानिक अधिकार, परिसीमन सुधार रैली की जा रही है. पार्टी अभी इसी की तैयारी कर रही है. आयोग में भी पार्टी के लोगों को जगह दी गयी. 

अभी भी हरे है लोकसभा में हार के जख्म

उपेंद्र कुशवाहा की बीते लोकसभा चुनाव में काराकाट से हार हुई थी. एनडीए गठबंधन के नेताओं पर ही उपेंद्र ने भीतरघात के कारण हार का आरोप लगाया था. तब से अब तक सार्वजनिक मंचों पर इसका जिक्र वे लगातार करते रहे हैं. यहां तक बोल चुके हैं कि अगर यही स्थिति विधानसभा में भी हुई तो, इसका भी परिणाम एनडीए के हित में नहीं आयेगा. अभी हाल ही में उन्होंने कहा कि अगर ”उपेंद्र कुशवाहा डूबेगा तो आप भी डूबेंगे”.”आप भी डूबेंगे” में ‘, ‘आप’ से उनका इशारा उनके समर्थक एनडीए की ओर बताते हैं.  

मंच पर कुशवाहा का नाम लेना भूल गये थे मोदी

उपेंद्र कुशवाहा जिस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव हारे थे, उसकी विधानसभा सीट बिक्रमगंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे. मंच पर उपेंद्र कुशवाहा भी मौजूद थे. मंचासीन उपेंद्र कुशवाहा का नाम प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नहीं लिया. इसके बाद इस पर कई तरह के कयास राजनीतिक गलियारों में लगाये जाने लगे. हालांकि सीवान की सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपेंद्र कुशवाहा का नाम अपने संबोधन में लिया था.  

अलग-अलग गठबंधनों के साथ चुनाव लड़ते रहे हैं कुशवाहा

उपेंद्र कुशवाहा पहली बार समता पार्टी से विधायक चुने गये थे. इसके बाद जदयू से वर्ष 2010 में राज्यसभा गये. वर्ष 2013 में जदयू से अलग होकर रालोसपा बनायी. भाजपा से गठबंधन कर 2014 का लोकसभा चुनाव लड़े. काराकाट से उनको जीत मिली. केंद्र में मंत्री भी बनाये गये. 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के भाजपा से अलग होने के बाद भी वे एनडीए में रहे और 23 सीटों पर उनकी पार्टी रालोसपा चुनाव लड़ी. 2018 में वे एनडीए से फिर बाहर आ गये. 2019 का लोकसभा चुनाव महागठबंधन के दल राजद व कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े. उनको हार का सामना करना पड़ा. 

2020 के चुनाव में बनाया तीसरा मोर्चा, सफल नहीं रहे

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन का साथ फिर से छोड़ दिया. बसपा, एआइएमआइएम के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाया. इसमें उनकी पार्टी रालोसपा को एक भी सीट नहीं मिली. जबकि एआइएमआइएम ने पांच और बसपा ने एक सीट पर जीत हासिल की. उपेंद्र कुशवाहा ने 104 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 

रालोसपा के जदयू में विलय के दो साल बाद फिर बनायी पार्टी

विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय कर दिया. इसके बाद उन्हें जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. जदयू में दो सालों तक रहने के बाद एकबार फिर उनका मोहभंग हुआ और वे 2023 में जदयू से अलग हो गये. विधान परिषद की सदस्यता भी त्याग दी. उन्होंने राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाया. चुनाव आयोग ने इस नाम की मंजूरी नहीं दी. इसके बाद उन्होंने पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक मोर्चा रखा. 2024 का लोकसभा चुनाव एनडीए के साथ मिलकर लड़े. उनकी पार्टी को एकमात्र काराकाट की सीट दी गयी, जिस पर खुद उनकी हार हुई.

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