इससे पहले गन्नीपुर और झपहां में केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं. शिक्षा विभाग के सचिव अजय कुमार यादव ने जिलों के डीएम को निर्देश दिया है कि वे उपयुक्त जमीन की पहचान कर प्रस्ताव भेजें. साथ ही, 11 बिंदुओं पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट भी शिक्षा विभाग को सौंपने को कहा गया है.
हर विद्यालय के लिए 8 से 10 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी, जिसमें स्कूल भवन, प्रशासनिक इकाई, स्टाफ क्वार्टर, छात्रावास और खेल मैदान जैसी सुविधाएं शामिल रहेंगी. शिक्षा विभाग की यह कवायद साफ संकेत देती है कि सरकार राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को लेकर गंभीर है.
पटना और नालंदा जिले को दो-दो नए विद्यालय मिलेंगे, जबकि बाकी जिलों- पूर्णिया, मुंगेर, कैमूर, भोजपुर, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, शेखपुरा, गया, अरवल और भागलपुर में एक-एक विद्यालय की स्थापना की जाएगी.
आम नागरिकों के बच्चे भी कर सकते हैं पढ़ाई
गौरतलब है कि केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) द्वारा संचालित ये विद्यालय केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से संबद्ध होते हैं और अब तक मुख्यतः केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को ध्यान में रखकर खोले जाते थे. हालांकि अब आम नागरिकों के बच्चे भी इसमें पढ़ सकते हैं, बशर्ते सीट उपलब्ध हो.
इस कदम से न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में एकरूपता आएगी, बल्कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नए द्वार भी खुलेंगे. यह पहल बिहार में शिक्षा की समग्र गुणवत्ता को एक नई ऊंचाई देने में मददगार साबित हो सकती है.
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