यूपीएससी में बिहार की भागीदारी पांच साल में आधे से भी कम

सिविल सेवा का गढ़ माने जाने वाली बिहार के रिजल्ट का ग्राफ यूपीएससी में लगातार गिरता जा रहा है.

By KUMAR PRABHAT | April 27, 2025 1:12 AM
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अनुराग प्रधान, पटनासिविल सेवा का गढ़ माने जाने वाली बिहार के रिजल्ट का ग्राफ यूपीएससी में लगातार गिरता जा रहा है. कभी यूपीएससी में टॉपर्स की खेप देने वाला राज्य से अब चयनित उम्मीदवारों की संख्या में लगातार गिरावट होती जा रही है. 2017 से लेकर 2023 तक के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि बिहार की भागीदारी यूपीएससी में बीते पांच साल में लगभग आधे से भी कम हो गयी है. जहां 2017-19 के बीच बिहार से लगभग 175 से ज्यादा अभ्यर्थी हर साल यूपीएससी की परीक्षा पास करते थे, वहीं 2022 में यह संख्या 56 के बीच सिमट गयी. वर्ष 2023 में भी केवल 42 उम्मीदवार सफल हुए. हालिया 2024 के रिजल्ट में यह संख्या बढ़कर 72 हुई है, लेकिन यह अभी भी पुराने औसत से काफी कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि गिरावट के कई कारण हैं. बदलता परीक्षा पैटर्न भी इसका एक कारण है. यूपीएससी अब रटंत ज्ञान नहीं, बल्कि विश्लेषणात्मक सोच, करंट अफेयर्स और प्रेजेंटेशन पर जोर देता है. गुणवत्ता प्रशिक्षण की कमी है. बड़ी संख्या में ग्रामीण छात्रों के पास संसाधनों और डिजिटल सुविधाओं की कमी है.

पांच साल का ग्राफ : सफल अभ्यर्थी (बिहार से)

2017: 178 लगभग

2019: 180 लगभग

2021: 100 लगभग

2023: 42 लगभग2024: 76 से अधिक

सपने वही हैं, पर राह कठिन

सिविल सेवा आज भी बिहार के युवाओं के सबसे बड़े सपनों में से एक है. लेकिन यह सपना अब पहले से कहीं ज्यादा कठिन हो गया है. टॉप रैंक में बिहार की मौजूदगी भी पहले जैसी नहीं रही. कई वर्षों से टॉप 20 में बिहार की कोई खास भागीदारी नहीं देखी गयी है. 10-12 साल पहले टॉप 20 में बिहार और यूपी के स्टूडेंट्स भरे रहते थे. इन्हीं दोनों राज्यों के स्टूडेंट्स टॉप 10 में रहते थे. चाणक्य आइएएस के डॉ कृष्णा सिंह कहते हैं कि बिहार के युवाओं को आज बदलती यूपीएससी रणनीति को समझना होगा. स्टेट गवर्नमेंट, सामाजिक संगठन और कोचिंग संस्थानों को मिलकर एक सुदृढ़ गाइडेंस सिस्टम तैयार करना होगा, जो पूरे भारत के स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके. सिविल सेवा परीक्षा 2024 का फाइनल रिजल्ट में इस बार देशभर से कुल 1009 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है, जिनमें बिहार से 72 से अधिक अभ्यर्थियों ने सफलता पायी है. हालांकि, पिछले वर्षों की तुलना में इस बार बिहार से चयनित उम्मीदवारों की संख्या और सफलता दर दोनों में बढ़ोत्तरी है. बिहार से सफल हुए कुल अभ्यर्थियों की संख्या कुल चयन का महज करीब सात प्रतिशत है, जो दर्शाता है कि राज्य की भागीदारी लगातार 10 प्रतिशत के भीतर सिमटती जा रही है. जबकि 2012-13 तक बिहार और यूपी की भागीदारी 40 प्रतिशत तक होती थी. 15 से 20 प्रतिशत तक बिहार के लोग यूपीएससी में सफल होते थे. यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि बिहार में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे युवाओं को बदलते पैटर्न और प्रतियोगिता के स्तर के अनुरूप अपनी रणनीति में सुधार की जरूरत है.

टॉपर्स में बिहार की हिस्सेदारी कम, सही मार्गदर्शन की जरूरत

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