संवाददाता, पटना : चार माह के बाद निगम परिषद की 9वीं साधारण बैठक बुधवार को होटल चाणक्य में हुई. बैठक दोपहर 12:30 बजे मेयर सीता साहू की अध्यक्षता में शुरू हुई, लेकिन दिनभर का सत्र टेंडर व एजेंसी को लेकर हंगामे की भेंट चढ़ गया. पूरे समय पार्षद सदन से कार्रवाई की मांग करते रहे. बता दें कि सत्र की शुरुआत एल1 को छोड़ कर एल3 को टेंडर दिये जाने से हुई. पार्षदों का आरोप था कि चार करोड़ में काम करने वाली एजेंसी को छोड़ कर 11 करोड़ में काम करने वाली एजेंसी को टेंडर दिया जा रहा है. पार्षदों ने इसकी जांच की मांग मेयर से की. पार्षदों ने केपीएमबी आर्किटेक्ट्स को ब्लैकलिस्टेड कंपनी बताया. पक्ष-विपक्ष में हंगामा करते हुए पार्षद इंद्रजीत चंद्रवंशी और पार्षद सतीष गुप्ता के बीच विवाद से माहौल गहमा-गहमी में बदल गया. इसके बाद मामले को शांत कराते हुए मेयर सीता साहू ने कहा कि एजेंसी को हटा कर जांच बैठा दी जायेगी. इसके बाद पार्षद राजकुमार गुप्ता और पार्षद रानी देवी ने प्रतिदिन घरों से कचरा नहीं उठने पर आवाज उठायी.
हंगामे के बाद प्रोसीडिंग पेपर फाड़ा
फॉगिंग के लिए प्रति गाड़ी मिल रहा 10 लीटर ही डीजल
स्टैंडिंग कमेटी की ओर से आरोप लगाया गया कि 25 लीटर डीजल लेकर निगम से वाहन निकलता है, पर 10 लीटर ही फॉगिंग में उपयोग होता है. वहीं, पार्षद विनय कुमार पप्पू ने मेयर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि वाटर बोर्ड में भी घोटाला हुआ है, इसकी जांच होनी चाहिए. बरसात आ चुकी है और फॉगिंग, नालों की सफाई, संप हाउस पर चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हुई.
बिना योजना के पैसे दे चुके हैं नगर आयुक्त : मेयर
बैठक में मेयर सीता साहू ने मल्टीलेवल कार पार्किंग के मुद्दे पर कहा कि 30 करोड़ का 10% अधिक में बुडको द्वारा टेंडर किया गया और उसका पेमेंट हुआ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इसका उद्घाटन भी हो गया. यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है. प्रोसीडिंग में कोई छेड़छाड़ नहीं है. नगर आयुक्त के पास कभी भी योजना स्टैंडिंग कमेटी और बोर्ड को लेने का पावर नहीं है, लेकिन वह अपना पावर चलाने में लगे हुए हैं.
धोखे से प्रस्ताव पास कराना आपराधिक : नगर आयुक्त
नगर आयुक्त व पटना स्मार्ट सिटी के एमडी अनिमेष कुमार पराशर ने धोखे से प्रस्ताव पास करना आपराधिक बताया. उन्होंने कहा कि पहले भी ऐसी गलतियां की जा चुकी हैं. छठ की प्रोसिडिंग में जीरो गायब कर दिया गया. इसके कारण कर्मियों को छह माह तक वेतन नहीं दिया जा सका, जबकि कमेटी के पूर्व सदस्य ऐसी गलतियां नहीं करते थे. वहीं, एंजेंसियों को लेकर कहा कि गलतियां पाने पर सीधे प्राथमिकी दर्ज होगी व राशि की वसूली की जायेगी.
इन तीन प्रस्तावों को लेकर हुआ विरोध
नगर निगम की बैठक में मेयर की कार्यकारिणी और सशक्त स्थायी समिति के एक समूह की ओर से ऐसे तीन प्रस्तावों को पारित कराने का प्रयास किया गया, जिन पर न तो पहले कोई चर्चा हुई थी और न ही विधिवत स्वीकृति ली गयी थी. इस पर कई पार्षदों ने कड़ी आपत्ति जतायी
2.दूसरा सबसे गंभीर आपत्ति ‘अमेजिंग इंडिया’ नामक एजेंसी को दोबारा स्मार्ट पार्किंग की जिम्मेदारी सौंपने पर थी. इस एजेंसी पर पूर्व में अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे थे. जब नगर आयुक्त ने कार्रवाई के लिए रेवेन्यू अधिकारी को भेजा, तो उनके साथ कथित रूप से अपहरण व हमले की कोशिश हुई थी. इस मामले में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी और उसे टर्मिनेट कर दिया था.
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