क्यों जरूरी है टॉयलेट कॉलेज?
दरअसल, स्वच्छता को लेकर दुनिया में सबसे आगे माने जाने वाले देश सिंगापुर के मॉडल से बिहार ने प्रेरणा ली है. मंत्री ने बताया कि सिंगापुर में साफ-सफाई के लिए अलग से यूनिवर्सिटी चलाई जाती है. वहां गए बिहार के अधिकारियों ने इस मॉडल को देखा और इससे काफी प्रभावित हुए. इसी अनुभव के आधार पर पहले चरण में एक टॉयलेट कॉलेज खोलने का निर्णय लिया गया है.
कॉलेज में थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों कोर्स होंगे. शुरुआत में स्वच्छता वॉलंटियर्स को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैला सकें. अगर यह मॉडल सफल रहता है, तो इसे बिहार के अन्य शहरों में भी लागू किया जाएगा.
गंगा पथ पर पार्किंग और पार्क से वसूला जाएगा शुल्क
बैठक में पटना स्मार्ट सिटी मिशन और नमामि गंगे परियोजना की प्रगति की भी समीक्षा हुई. मंत्री ने बताया कि गंगा पथ को विकसित करने के लिए वेंडिंग जोन, पार्क और पार्किंग क्षेत्र बनाए जा रहे हैं. अब इन सुविधाओं को रेवेन्यू मॉडल पर विकसित किया जाएगा, जिसमें पार्क और पार्किंग का उपयोग करने वालों से शुल्क वसूला जाएगा.
मौर्यालोक में बनेगा डीलक्स टॉयलेट
मौर्यालोक कॉम्प्लेक्स के पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत अत्याधुनिक डीलक्स शौचालय का निर्माण किया जाएगा. साथ ही बिहारशरीफ, भागलपुर और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के तहत चल रहे कार्यों की भी समीक्षा हुई. मंत्री ने सभी लंबित परियोजनाओं को 31 जुलाई तक हर हाल में पूरा करने का निर्देश दिया है.
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