‘कुख्यात’ की गिरफ्तारी करने पहुंची पुलिस ने निर्दोष की कर दी हत्या, एनकाउंटर बता मामले को किया रफा दफा
Crime News 26 वर्ष बाद जब इस फर्जी एनकाउंटर का राज खुला तो कोर्ट ने आरोपी डीएसपी को तीन लाख नगद जुर्माना के साथ साथ उम्रकैद की भी सजा सुनायी है.
By RajeshKumar Ojha | October 13, 2024 7:36 PM
Crime News. हत्या के बाद निर्दोष को जेल भेजने के तो कई मामले सामने आते रहे हैं. लेकिन, कुख्यात की गिरफ्तारी में असफल बिहार पुलिस ने एक निर्दोश की हत्या कर दी. हत्या को बिहार पुलिस ने रफा दफा करने के लिए उसे एनकाउंटर करार दे दिया. लेकिन, 26 वर्ष बाद जब इस फर्जी एनकाउंटर का राज खुला तो कोर्ट ने आरोपी डीएसपी को तीन लाख नगद जुर्माना के साथ साथ उम्रकैद की भी सजा सुनायी है. कोर्ट ने इस मामले में एक अन्य थाना प्रभारी को पांच साल की सजा सुनायी है. जबकि तीन लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है.
यह पूरा मामला बिहार के पूर्णिया जिले से जुड़ा है. करीब 26 साल पहले बड़हरा पुलिस को सूचना मिली की कुख्यात अपराधी टोलवा सिंह मधेपुरा जिला के बिहारी गंज थाना के चितवली गांव में छिपा है. उक्त सूचना पर बड़हरा पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए पहुंची. स्थानीय थाना की मदद से पूरे गांव की घेराबंदी कर लिया. इसके बाद टोलवा सिंह की तलाशी शुरु हुई. इधर, टोलवा सिंह को पुलिस की कार्रवाई की सूचना मिल गई थी.
इसके कारण वह फरार हो गया था. सर्च अभियान में टोलवा सिंह के नहीं मिलने पर बड़हरा पुलिस ग्रामीणों पर भड़क गई और उनके साथ गाली गलौज करने लगी. इसका एक स्थानीय युवक संतोष सिंह ने जब विरोध किया तो तत्कालीन बड़हरा थाना प्रभारी मुखलाल पासवान ने उसे गोली मार दी. जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई.
इस पूरे मामले को रफा दफा करने के लिए पुलिस ने इसे एनकाउंटर दिखा दिया. लेकिन हत्या को एनकाउंटर दिखाना तत्कालीन थाना प्रभारी को महंगा पड़ गया. मृतक के परिजन और पूरा गांव इस मामले को लेकर सड़क पर उतर गया. विरोध को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने इस पूरे मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी. लेकिन ग्रामीण इससे भी शांत नहीं हुए. वे इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाने पर अड़े रहे. अनन्त: सरकार ने पूरे मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया.
इसके बाद पुलिस की आंखमिचौली का पर्दाफाश हो गया. फर्जी एनकाउंटर मामले में बड़हरा के पूर्व थानाप्रभारी मुखलाल पासवान को उम्रकैद की सजा सुना दी गयी है. जो वर्तमान में इंस्पेक्टर से प्रमोट होकर डीएसपी बन चुके थे. जबकि बिहारीगंज थाने के एक पूर्व दारोगा को पांच साल की सजा मिली है. इस मामले में सीबीआइ ने आरोप साबित करने के लिए 45 गवाहों का बयान अदालत में कलमबंद करवाया और पूरे मामले को उजागर किया.
पटना स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने फर्जी एनकाउंटर के मामले में पूर्व थानाध्यक्ष मुखलाल पासवान को उम्रकैद की सजा सुनायी. साथ ही तीन लाख एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नवम सह विशेष न्यायाधीश अविनाश कुमार ने सुनवाई के बाद पूर्णिया के बड़हरा थाने के पूर्व थानाध्यक्ष मुखलाल पासवान को आइपीसी की धारा 302, 201, 193 और 182 के तहत दोषी करार देने के बाद यह सजा सुनायी. जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर दोषी को डेढ़ साल की सजा अलग से भुगतनी होगी. बता दें कि मुखलाल पासवान को इसी साल प्रमोशन मिला था और डीएसपी बनाए गए थे.
अदालत ने इसी मामले के एक अन्य अभियुक्त बिहारीगंज थाने के पूर्व दारोगा अरविंद कुमार झा को आइपीसी की धारा 193 में दोषी करार देने के बाद पांच वर्षों के सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. इसके साथ 50 हजार रुपये का जुर्माना भी किया. जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर इस दोषी को छह माह के कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी.
यहां पटना न्यूज़ (Patna News) , पटना हिंदी समाचार (Patna News in Hindi), ताज़ा पटना समाचार (Latest Patna Samachar), पटना पॉलिटिक्स न्यूज़ (Patna Politics News), पटना एजुकेशन न्यूज़ (Patna Education News), पटना मौसम न्यूज़ (Patna Weather News) और पटना क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर.