लोक जनशक्ति पार्टी में टूट के बाद चिराग पासवान को दिल्ली हाईकोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें चिराग ने स्पीकर के फैसले को चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा है कि याचिका बिना मेरिट के ही दाखिल किया गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट में आज चिराग पासवान की याचिका पर सुनवाई की गई. याचिका में कहा गया था कि स्पीकर ने पशुपति पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता बनाया है, जो गैरकानूनी है. कोर्ट ने चिराग पासवान की याचिका को खारिज कर दिया है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक लोजपा की ओर से वकील एके वाजपेई कोर्ट में पेश हुए. वाजपेई ने कहा कि पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और पत्र लिखकर संसदीय दल के नेता बन गए, जिसे स्पीकर नहीं मान्यता दे दी है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आप स्पीकर के फैसले को किस आधार पर चुनौती देना चाहते हैं?
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी भारत सरकार की ओर से पेश हुए. उन्होंने कहा कि स्पीकर ने नियम के तहत ही पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता बनाने का निर्णय लिया. वहीं चिराग पासवान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील बाजपेई ने कहा कि पांचों सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है. इसपर कोर्ट ने कहा राजनीतिक मामला है और आप चुनाव आयोग जाइए.
बताते चलें कि लोक जनशक्ति पार्टी में पिछले महीने पांच सांसदों ने पशुपति पारस के नेतृत्व में अलग हो गया. अलग होने के बाद सांसदों ने पशुपति पारस के आवास पर एक बैठक आयोजित की, जिसमें उन्हें पार्टी संसदीय दल का नेता चुना गया.
Posted By : Avinish Kumar Mishra
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