मॉडल के बारे में जानिए
सूत्रों के अनुसार राज्य में सड़क निर्माण में पीपीपी मॉडल से मिलता हुआ हाइब्रिड एनवीटि मॉडल लागू करने का मूल मकसद चार साल की तय समयसीमा में निर्माण पूरा करना है. साथ ही निर्माण के बाद अगले 15 वर्षों के लिए सड़कों का रख-रखाव भी निर्माण एजेंसी द्वारा किया जायेगा.
चार वर्ष की निर्माण अवधि में सरकार के द्वारा कुल परियोजना लागत का मात्र 40 फीसदी भुगतान ही संवेदक को किया जाने का प्रावधान है. इसके अलावा शेष 60 फीसदी की राशि संवेदक के द्वारा निर्माण कार्य में लगायी जाएगी.
इस मॉडल के अंतर्गत संवेदक के द्वारा निर्माण के लिए निवेश किया जाएगा और 15 वर्षों तक निर्मित संरचना का रखरखाव किया जाएगा. इस 60 फीसदी का भुगतान अगले 15 वर्षों तक सरकार के द्वारा संवेदक को ब्याज सहित भुगतान किया जाएगा. सड़क का ऑपरेशन और रखरखाव संवेदक द्वारा किया जाएगा जिसके लिए सरकार अलग से राशि उपलब्ध कराएगी.
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मंत्री ने क्या बताया
इस संबंध में पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि उन्होंने विधानसभा में राज्य में सड़क, पुल और एक्सप्रेस हाइवे के निर्माण के लिए हाइब्रिड एनवीटि मॉडल अपनाने की घोषणा की थी. अब इस मॉडल को जल्द ही कई प्रस्तावित एक्सप्रेसवे, प्रमुख नदियों पर पुल और सड़कों के निर्माण में लागू किया जायेगा.
इस मॉडल से सरकार द्वारा परियोजनाओं की बजट पर बोझ कम होगा. साथ ही इस बचत से कई अन्य प्रस्तावित संरचनाओं पर बची हुई राशि से काम शुरू हो सकेगा. इस मॉडल के अंतर्गत तकनीकी रूप से निविदा सफल घोषित होने पर निविदादाता को निम्नतम प्रोजेक्ट कॉस्ट के आधार पर संविदा दी जाएगी. पथ निर्माण मंत्री ने बताया कि राज्य में 2047 तक विकसित बिहार के लक्ष्य के अनुरूप हाइब्रिड एनवीटि मॉडल पर काम शुरू होगा.
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