Mango Of Bihar: खुशबू में इतिहास, स्वाद में विरासत! जानिए बिहार के आमों की वो किस्में जो अब दुर्लभ हो रही हैं…

Mango Of Bihar: हर साल गर्मियों में बिहार की मिट्टी से उठती है ऐसी खुशबू, जो देशभर के आमप्रेमियों को खींच लाती है. लेकिन कुछ स्वाद अब गायब होने लगे हैं… कुछ आम बचे हैं, तो कुछ बस यादों में. आखिर क्या है इन आमों की असली कहानी?

By Abhinandan Pandey | June 25, 2025 2:39 PM
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Mango Of Bihar: बिहार सिर्फ लिट्टी-चोखा और सिल्क के लिए ही नहीं, बल्कि अपने खास किस्मों के आमों के लिए भी जाना जाता है. हर जिले का आम अपनी अलग पहचान, रंग, खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर है. आइये जानते हैं बिहार के इन खास आमों की मीठी कहानी, जो स्वाद के साथ-साथ परंपरा और इतिहास को भी समेटे हुए है.

बिहार का मशहूर आम : स्वाद, सुगंध और पहचान की मिसाल

बिहार के कई जिलों में उगने वाले आम न केवल स्वाद में बेजोड़ हैं, बल्कि हर किस्म अपनी एक अनोखी पहचान लिए हुए है. भागलपुर का जर्दालू आम अपनी सुनहरी पीली त्वचा, खास सुगंध और रसीले स्वाद के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. इसे भौगोलिक संकेत (GI) टैग भी प्राप्त है, जो इसकी गुणवत्ता और विशेषता की पहचान है. वहीं चंपारण, खासकर पश्चिम और पूर्वी चंपारण के इलाकों में उगने वाला जर्दा आम भी अपनी अनूठी खुशबू और स्वाद के लिए जाना जाता है. इसकी खासियत यह है कि यह कच्चा होने पर भी मीठा होता है, और इसकी यह विशेषता वहां की मिट्टी से जुड़ी हुई है. मिथिलांचल और भागलपुर में उगने वाला गुलाबखास आम भी उतना ही खास है, जिसकी गुलाब जैसी महक और अत्यंत मीठा, रेशारहित गूदा इसे बाकी आमों से अलग बनाता है. यह आम पूरी तरह पकने पर बेहद मीठा हो जाता है और इसका नाम ही इसकी खूबी बयान करता है.

अनोखी बनावट, खास स्वाद- बंबइया, मालदा और चौसा की पहचान

सीतामढ़ी, चंपारण और मिथिलांचल में उगने वाला बंबइया आम अपनी तेज खुशबू और बिना रेशे वाले गूदे के लिए जाना जाता है. यह जल्दी पकने वाली किस्म है और पकने पर भी हरे रंग की बनी रहती है, केवल डंठल के पास हल्का पीलापन आता है. वहीं, पटना के दीघा इलाके का दूधिया मालदा आम आमों का शहंशाह कहलाता है. इसका मलाई जैसा स्वाद, पतला छिलका और रसीलापन इसे बेहद खास बनाता है. बक्सर जिले का चौसा आम भी इतिहास और स्वाद दोनों के लिए प्रसिद्ध है. इसका नाम शेरशाह सूरी की विजय के बाद पड़ा और इसका सुनहरा रंग व रेशारहित गूदा इसे खास बनाते हैं. अब गोपालगंज जैसे अन्य जिलों में भी इसकी खेती बढ़ रही है.

मिटटी की मिठास- सुरजापूरी, किशनभोग और आम्रपाली की खास बात

पुरनिया, कटिहार और किशनगंज में उगने वाल सुरजापूरी आम अपने खास स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता है. इस आम का नाम उसी क्षेत्र की भाषा से जूरा हुआ है और इसकी मिठास वहां के मौसम और मिट्टी से मिलती है. उत्तरी बिहार का कृष्णभोग आम गोल आकार और मीठे गूदे वाला होता है. यह गर्मियों के मध्य तक बाजार में मिल जाता है और इसकी कम रेशेदार बनावट इसे और खास बनाती है. दूसरी ओर, बिहार में आम्रपाली किस्म की खेती अब तेजी से बढ़ रही है. दशहरी और नीलम का यह हाइब्रिड आम, ज्यादा बीटा कैरोटीन के कारण हेल्दी माना जाता है और इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई भी कर रहे हैं.

विलुप्त होती मिठास- सिंदूरिया और सीपिया को बचाने की जरुरत

बिहार के कुछ चुनिन्दा आम खत्म होने की कगार पर हैं. सिंदूरिया आम, जो अपने लाल रंग और जबरदस्त मिठास के लिए जाना जाता है अब दुर्लभ होता जा रहा है. हाल ही में इसी इस आम से प्रेरणा लेकर एक किसान ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ नाम की एक नई वैरायटी भी तैयार की है. यह किस्म कटिहार, किशनगंज, समस्तीपुर और कई जिलों में उगाई जाती है. इसी तरह सीपिया आम, जिसका आकार सीप जैसा होता है और जो रक्षाबंधन के आसपास बाजार में आता है, भी अब कम दिखता है. यह आम अपनी अनोखी मिठास और देर से आने की वजह से आम प्रेमियों का पसंदीदा है. बिहार सरकार और कृषि विश्वविद्यालय इन किस्मों को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं ताकि यह स्वाद आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच सके.

(सहयोगी सुमेधा श्री की रिपोर्ट)

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