पटना : कोरोना वायरस को लेकर हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में दिये गये दिशा-निर्देश पर क्या कार्रवाई की गयी है, इसकी जानकारी आठ सितंबर तक पेश करने का निर्देश पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को दिया है.
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने राज्य में कोरोना महामारी से उत्पन्न गंभीर हालत मि लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है.
चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने मामले को लेकर दायर कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि पूरे राज्य की आबादी की दो फीसदी लोगों का भी कोरोना टेस्ट अभी तक नहीं हुआ है.
12 करोड़ की आबादी वाले राज्य में सिर्फ नौ आरटी पीसीआर मशीन हैं. जिससे कोरोना की सही जांच हो सकती है. लेकिन, इसका भी ना के बराबर उपयोग किया गया है. कोर्ट को बताया गया कि कोविड अस्पतालों में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद सीसीटीवी कैमरा अभी तक नहीं लगाये गये हैं.
राज्य सरकार ने कोविड अस्पतालों के निरीक्षण के लिए डॉक्टरों की एक्सपर्ट टीम नहीं बनायी है. राज्य सरकार ने कोविड मरीजों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए व्यवस्था की भी कोई जानकारी नहीं दी है. कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 17 सौ डॉक्टर ही कार्यरत हैं, जो की राज्य की जनसंख्या के हिसाब से बहुत कम है. इस मामले पर आठ सितंबर को अगली सुनवाई होगी.
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