संवाददाता,पटना : बज्जिका भाषा में रचित लोकगीतों की विरासत को संजोने वाली पुस्तक ‘पारंपरिक लोकगीत’ का विमोचन रविवार को बाबू जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के सहयोग से एक कार्यक्रम में किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मभूषण डॉ सीपी ठाकुर थे. कार्यक्रम की शुरुआत पुस्तक की लेखिका गीता सिंह के स्वागत गीत और पारंपरिक झूमर से हुई. डॉ सीपी ठाकुर ने इस पुस्तक को एक सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए इसे संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया. डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि साहित्य में जो ”अंगद के पांव” की तरह स्थायी प्रयास हो रहे हैं, यह पुस्तक उसी दिशा में एक मजबूत कदम है. शोध संस्थान के निदेशक डॉ नरेंद्र पाठक ने लोक परंपराओं की साहित्यिक पृष्ठभूमि पर और अधिक शोध तथा नयी पीढ़ी को इससे जोड़ने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसी पहलें ही सांस्कृतिक उत्तराधिकार को जीवंत रखती हैं. दीपक ठाकुर ने कहा कि बज्जिका में पाठ्य रूप में ऐसी सामग्री की बेहद कमी है और यह चिंता का विषय है. गीता सिंह ने कहा कि यह संकलन हमारी अगली पीढ़ी के लिए है, ताकि पारंपरिक संस्कार गीत समाज से विलुप्त न हों. कार्यक्रम में लोकगीत गायक मनोरंजन ओझा, मैथिली अकादमी के सदस्य हृदय नारायण झा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी विविध भारती दिल्ली की उद्घोषिका सारिका पंकज ने किया.
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