घर घर जाकर स्वघोषणा प्राप्त करने का निर्देश
इस दौरान शिविर प्रभारी हरेंद्र कुमार भी शामिल रहे. राजस्व पदाधिकारी सह कानूनगो अशोक कुमार झा ने बैठक में भूमि सर्वेक्षण से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारी दी. साथ ही उन्होंने अधिकारियों को रैयतों के घर-घर जाकर स्वघोषणा और वंशावली लेने का निर्देश भी दिया. सभी अमीनों को एक सप्ताह के भीतर प्रपत्र पांच एंट्री करने का सख्त निर्देश दिए गए. इस काम में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरतने की बात भी कही गई है. समीक्षा बैठक में आगे कहा गया कि सभी रजिस्टर को सही तरीके से अपडेट और मेंटेन करें. कहा गया कि अभी रैयतों के पास जो भी भूमि से संबंधित कागजात हैं, उसे ऑनलाइन या ऑफलाइन करें.
पुराने विवादों को सुलझाने में मिल रही मदद
बिहार में भूमि सर्वेक्षण एक ऐतिहासिक पहल साबित हो रही है, जिससे राज्य में जमीन से जुड़े वर्षों पुराने विवादों को सुलझाने में मदद मिल रही है. इस सर्वेक्षण के जरिए प्रत्येक प्लॉट की सटीक सीमाएं, स्वामित्व और उपयोग की जानकारी दर्ज की जा रही है, जिससे जमीन की पारदर्शिता बढ़ी है. पहले जहां छोटी-छोटी जमीनों को लेकर सालों तक कोर्ट-कचहरी का चक्कर चलता था, अब डिजिटल रिकॉर्ड और नक्शों के माध्यम से साफ-साफ पता चल जाता है कि जमीन किसकी है और कितनी है. इससे ग्रामीणों में भी भरोसा बढ़ा है कि उनकी जमीन सुरक्षित है.
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