20 साल पुराना है मामला
सीबीआई ने इस घोटाले की जांच करीब 20 साल पहले यानी 3 मार्च 2005 को शुरू की थी. जांच के दौरान पाया गया कि OICL के कंपनी के सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी अशोक कुमार, सहायक अमरेंद्र कुमार मिश्रा और बीमा एजेंट समीर कांत झा ने मिलकर झूठे नामों और फर्जी दस्तावेजों के सहारे सुपौल जिले के पूर्व विधायक समेत अन्य के नाम पर मवेशी बीमा पॉलिसी जारी की थी. इस फर्जी कार्य के माध्यम से बीमा कंपनी को 50 हजार रुपये का नुकसान पहुंचाया गया.
मुकदमा चलते चलते गुजर गए आरोपी
सीबीआई ने मामले में 30 सितंबर 2005 को आरोपपत्र दाखिल किया था. जिसमें OICL के तत्कालीन डीओ नरेंद्र कुमार मिश्रा, शाखा मैनेजर शिव शंकर गुप्ता, एएओ अशोक कुमार, सहायक अमरेंद्र कुमार मिश्रा, बीमा एजेंट समीर कांत झा और निजी व्यक्ति मोहन मिश्रा को आरोपी बनाया गया था.
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निजी लाभ उठाने की भी कोशिश
मामले की सुनवाई के दौरान शिव शंकर गुप्ता, नरेंद्र कुमार मिश्रा, मोहन मिश्रा और समीर कांत झा की मौत हो गई. ट्रायल के बाद अदालत ने आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें सजा सुनाई. सीबीआई की जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने न केवल पद का दुरुपयोग किया, बल्कि कंपनी की आंतरिक व्यवस्ता के साथ छेड़खानी कर निजी लाभ उठाने की भी कोशिश की.
(मृणाल कुमार की रिपोर्ट)
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