Janki Navami : संघर्षों से भरा है वैदेही का जीवन, संयम से लक्ष्य को पाने का नाम है सीता
Janki Navami: जगत जननी जानकी, विदेह पुत्री, मैथिली का जन्म वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को वर्तमान बिहार के सीतामढ़ी जिले में हुआ था. हर वर्ष इस तिथि पर जानकी जन्मोत्वस मनाने की परंपरा है. जिसे जानकी नवमी या सीता नवमी भी कहा जाता है. इस बार यह तिथि 6 मई 2025, मंगलवार को पड़ रही है.
By Ashish Jha | May 6, 2025 8:06 AM
Janki Navami: पटना. विदेह की राजधानी मिथिला में वैशाख माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को धैर्य, मर्यादा और शक्ति का अवतरण हुआ था. विदेह के जनक सिरध्वज जब अपने राज्य को अकाल से मुक्ति दिलाने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, तब धरा से एक दिव्य कन्या प्रकट हुई. इस भूमिजा को सिरध्वज ने सीता नाम दिया. सीता कहने को तो मां लक्ष्मी की अवतार थीं और अवधपति राम की अर्धांगिनी, लेकिन उनका जीवन संघर्षों, दुखों और अपमानों से भरा रहा. सीता नवमी सिर्फ जन्मोत्सव नहीं है, यह एक ऐसा दिन है जो हर युग को ये याद दिलाता है कि मौन में भी शक्ति होती है, और सहनशीलता में भी क्रांति. माता सीता उस आदर्श का नाम है, जिसने एक स्त्री की भूमिका को नई ऊंचाई दी, संघर्ष में अडिग, और मर्यादा में अटल.
संयम से जीवन के लक्ष्य को पाने का नाम सीता
इस युग में, जहां शक्ति को केवल बाहरी रूप से मापा जाता है, वहां माता सीता हमें बताती हैं कि असली बल संयम, सहिष्णुता और आंतरिक दृढ़ता में होता है. उन्होंने राजसी वैभव से लेकर वनवास तक स्वीकार किया. उनका जीवन त्याग की चरम सीमा तक गया. उन्होंने हर भूमिका में खुद को निभाई- बिना किसी शोर-शराबे के, पर पूरी गरिमा और आत्मबल के साथ. सीता के हिस्से सुख उतने दिन ही रहा जितने दिन वो विदेह में रही. विवाह के उपरांत वनवास और वनवास के दौरान अपहरण उनके जीवन का सबसे स्याह पक्ष नहीं रहा. सीता के जीवन का सबसे स्याह पक्ष उनके अयोध्या लौटने के बाद आया, जब राम ने उनका त्याग किया.
नारी के लिए मार्गदर्शन
सीता ने जीवन में कभी प्रतिकार नहीं किया. पहले पिता की शर्त, फिर ससुर का प्रण, रावण का छल और अंत में पति का व्यवहार..सीता सबको स्वीकारती रही. सीता किसी को माफी भी नहीं दी, सीता किसी को अपमानित भी नहीं किया. सीता ने हमें सिखाया कि शक्ति का अर्थ केवल प्रतिकार नहीं, बल्कि सहनशीलता में भी छिपा होता है. उनका जीवन आज की स्त्रियों के लिए एक प्रेरणास्रोत है. सीता एक ऐसी राजनीतिज्ञ थी जो बताती हैं कि कैसे बिना हथियार उठाए, केवल चरित्र और संकल्प से पूरी दुनिया की सोच बदली जा सकते हैं. आप कैसे बड़ी से बड़ी शक्ति पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.
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