मजदूरों के लिए जून में स्वीट्जरलैंड बना कैमूर, मनरेगा के साइट पर अपलोड तस्वीरों ने चौंकाया, जानिए पूरा माजरा…

Kaimur News: खबर कैमूर जिले से है. जहां, मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों की तस्वीर साइट पर अपलोड होने के बाद मामला बढ़ गया. दरअसल, साइट पर अपलोड तस्वीरों ने मनरेगा योजना में फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ कर दिया.

By Preeti Dayal | June 30, 2025 5:16 PM
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Kaimur News: कैमूर जिले का पर्वतीय वन क्षेत्र वाला अधौरा प्रखंड मनरेगा मजदूरों के लिए राज्य का स्वीट्जरलैंड बन गया है. यहां जून के दूसरे सप्ताह में पारा 42 डिग्री के पार रहा, लेकिन उस समय अधौरा के मनरेगा मजदूरों को हाड़ कंपा देने वाली कड़ाके की ठंड सता रही थी. जहां बांध का निर्माण करने वाले अधिकतर मजदूर ऊनी चादर ओढ़ने के साथ गर्म कपड़े भी पहने रहे. जबकि, हकीकत यह है कि जून में सुबह से ही आग उगलती सूर्य की किरणें चट्टानों को इस तरह गरम कर देती है कि, आधी रात के बाद ही लोग कुछ घंटों के लिए राहत की सांस ले पाते हैं. ऐसे समय में भी यहां के मजदूरों को ठंड का लगना अपने आप में एक अबूझ पहेली है, जिसका जवाब मनरेगा के अधिकारी और कर्मी ही जानते हैं.

साइट पर अपलोड तस्वीरों ने चौंकाया

हालांकि, भीषण गर्मी में कड़ाके की सर्दी मनरेगा मजदूरों को लगती है. ऐसा प्रभात खबर नहीं कहता है बल्कि मनरेगा की साइट पर जून 2025 में अपलोड की गई मजदूरों की वह तस्वीर खुद ही कह रही है. जिसमें महिला और पुरुष मजदूर ऊनी चादर ओढ़े हुए नजर आ रहे हैं. इन तस्वीरों ने भी फर्जीवाड़े को उजागर कर दिया. मामला उक्त प्रखंड के ग्राम अधौरा के मौजा में रामलाल अगरियां की खेत के बगल में बांध निर्माण का कार्य करते मजदूरों का है, जिसकी योजना संख्या 0549001/ डब्ल्यूसी/ 20683870 है. उक्त योजना में तीन मास्टर रोल जारी किया गया है, जिसमें 22 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज कर 242 दिन कार्य दिखाया गया है. प्रति मजदूर 250 रुपये प्रति दिन की दर से सभी मजदूरों को 60,500 रुपये मजदूरी की राशि का भुगतान किया गया है. सबसे खास बात तो यह है कि तीनों मास्टर रोल में मजदूरों का नाम अलग-अलग है, लेकिन सभी मास्टर रोल पर एक ही मजदूरों का फोटो साइट पर अपलोड किया गया है.

मास्टर रोल – 1417

योजना को लेकर जारी प्रथम मास्टर रोल संख्या 1417 को देखें, तो इसमें 10 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई है. प्रत्येक व्यक्ति की 11 दिनों की उपस्थिति दर्ज करने के साथ प्रतिदिन 250 रुपये प्रति मजदूर की दर से अनुसूचित जाति के मजदूरों को 5500, अनुसूचित जनजाति के मजदूरों को 11000 और सामान्य वर्ग के मजदूरों को 11000 रुपये. इस तरह उक्त मास्टर रोल में कुल 10 मजदूरों को 27500 रुपये मजदूरी का भुगतान किया गया है. ये वही मजदूर हैं, जिनको जून की तपती धूप और गर्मी में भी कड़ाके की ठंडी लग रही है और गर्म कपड़े और ऊनी चादर ओढ़कर बांध निर्माण का कार्य किया है. बांध निर्माण का काम करने वाले मजदूरों में नीरज कुमार, अरुण शर्मा, सुजीत कुमार कश्यप, रमेश कुमार, शिवम कुमार, जमुनी देवी, उत्तम कुमार, भीम यादव, काजल कुमारी, लवली देवी का नाम शामिल हैं.

मास्टर रोल – 1418

वहीं, योजना में जारी किये गये दूसरे मास्टर रोल 1418 को देखें, तो इसमें कुल नौ मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई है. इन मजदूरों में प्रभावती देवी, दिल मोहम्मद मियां, जकमुनिया देवी, राम सूरत सिंह, जुमराती मियां, अधम अली, संजय कुमार सिंह, मनीषा कुमारी और आशा कुमारी का नाम शामिल है. इन सभी मजदूरों ने 11-11 दिन तक बांध निर्माण कार्य जून महीने में ऊनी चादर ओढ़कर और गर्म कपड़े पहनकर किया है. प्रतिदिन प्रति मजदूर 250 रुपये की दर से सभी सामान्य वर्ग के मजदूरों को 24750 रुपये मजदूरी का भुगतान किया गया है.

मास्टर रोल – 1419

इधर, योजना के आखिरी और तीसरे मास्टर रोल संख्या 1419 में सिर्फ तीन व्यक्तियों की उपस्थिति दर्ज की गई है. इसमें बसंत सिंह, लीलावती देवी और उदल कुमार का नाम अंकित किया गया है. तीनों व्यक्तियों की ओर से 33 दिन बांध निर्माण का कार्य किया गया है. इसके एवज में मजदूरों को 8250 रुपये भुगतान किया गया है. इस तरह तीनों मास्टर रोल में अंकित 22 मजदूरों द्वारा 242 दिनों तक बांध निर्माण कार्य किया गया है. इसके एवज में 60,500 रुपये का भुगतान भी विभाग द्वारा किया गया है.

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