khan sir: बिहार से देशभर में अपनी पढ़ाई और देशभक्ति के जज़्बे से लाखों युवाओं के दिल में जगह बना चुके खान सर अब समाजसेवा की नई इबारत लिखने जा रहे हैं. सावन की अंतिम सोमवारी को उन्होंने न सिर्फ माथे पर चंदन लगाया, बल्कि सेवा के सबसे बड़े संकल्प की घोषणा कर दी—
अब हर बड़े त्योहार पर एक नई स्वास्थ्य सेवा शुरू होगी, जो आम लोगों को समर्पित होगी. डायलिसिस सेंटर से लेकर वर्ल्ड क्लास अस्पताल तक की योजनाएं अब मूर्त रूप लेने जा रही हैं और इसका पूरा खर्च आएगा—स्टूडेंट्स की फीस से.
हर त्योहार पर एक तोहफा खान सर का
खान सर ने बताया कि किडनी फेल मरीजों को डायलिसिस के लिए भारी खर्च उठाना पड़ता है—एक बार में ₹4000 और महीने में करीब ₹48,000. इसी पीड़ा को समझते हुए उन्होंने ऐलान किया है कि हर जिले में कम-से-कम 10 डायलिसिस मशीनें लगाई जाएंगी. शुरुआत हो चुकी है—पहली 10 मशीनें पहुंच चुकी हैं और सेटअप किया जा रहा है.
ब्लड बैंक: नवरात्रि पर नया संकल्प
खान सर नवरात्रि के पहले दिन एक अत्याधुनिक ब्लड बैंक की शुरुआत करेंगे. इसकी मशीन जापान से मंगाई गई है और यह पूरी तरह इंटरनेशनल तकनीक से लैस होगी. ज़रूरतमंदों को सुलभ और त्वरित रक्त मुहैया कराना इसका मकसद है.
दीवाली का दीप—एक वर्ल्ड क्लास अस्पताल
इस दीपावली, खान सर बिहारवासियों को देंगे सबसे बड़ा तोहफा—एक ऐसा अस्पताल, जहां इलाज तो सरकारी दरों पर होगा, लेकिन सुविधाएं होंगी टॉप प्राइवेट अस्पताल जैसी. खास बात यह कि इस अस्पताल में उन छात्रों को सेवा देनी होगी, जो खान सर के कोचिंग से पढ़कर डॉक्टर बने हैं. यानी शिक्षा और सेवा का सच्चा मेल.
छठ पूजा पर डायग्नोसिस सेंटर
छठ पूजा के शुभ अवसर पर लॉन्च होगा एक अत्याधुनिक डायग्नोसिस सेंटर, जिसमें सभी जरूरी मेडिकल जांचें उपलब्ध होंगी. मशीनें जापान, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों से लाई जा रही हैं. खान सर का दावा है कि तकनीक के मामले में यह सेंटर इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का होगा.
99 कट्ठा ज़मीन, करोड़ों की योजना, और एक दृढ़ संकल्प
भोजपुर के कोइलवर मौजा में 99 कट्ठा ज़मीन की खरीद, जिसे लेकर चर्चाएं तेज हैं कि यही अस्पताल की नींव बनेगी. सरकारी दर पर ज़मीन की कीमत करीब 1.5 करोड़, जबकि बाजार मूल्य लगभग 3 करोड़ आँकी जा रही है.
खान सर खुद चुपचाप पहुंचे, 30 मिनट में रजिस्ट्री और निकल गए—ठीक वैसे ही जैसे कोई मसीहा चुपचाप काम करता है.
स्टूडेंट्स की फीस से बनेगा ‘जनसेवा मॉडल’
खान सर का यह संकल्प और भी अनूठा बन जाता है जब वे कहते हैं कि यह सब सरकार की मदद से नहीं, बल्कि अपने स्टूडेंट्स की फीस से करेंगे. यानी वही बच्चे, जिनसे वे शिक्षा का दीप जलाते हैं, अब उन्हीं के ज़रिये समाज में स्वास्थ्य की रौशनी फैलाएंगे.
क्लास से क्लिनिक तक, एक टीचर की अनोखी यात्रा
खान सर ने फिर साबित कर दिया कि शिक्षा सिर्फ करियर नहीं, चरित्र गढ़ने का माध्यम है. अब वह बच्चों को पढ़ाएंगे भी और बीमारों का इलाज भी कराएंगे. शायद यही होता है—गुरु का असली धर्म.
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