राजधानी पटना के प्रमुख चौक-चौराहे बोरिंग रोड, पाटलिपुत्र, राजीव नगर, कुर्जी मोड़, राजेंद्र नगर, कंकड़बाग टेंपो स्टैंड आदि जगहों पर ये मजदूर सुबह-सुबह काम की तलाश में पहुंचते हैं. लॉकडाउन होने की वजह से काम नहीं मिलने से अधिकांश दैनिक मजदूर या तो घर वापस चले गये या फिर पटना में ही रह रहे हैं. उन्हें अपना और अपने परिवार का पेट चलाना भी मुश्किल हो रहा है. अभी तो लॉक डाउन हुए मात्र तीन दिन हुए हैं, लॉक डाउन 14 अप्रैल तक है.
सरकार दे आर्थिक सहयोग
सरकार की ओर से मदद मिलने पर उनका कुछ हो सकता है. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से मजदूरों को सहयोग करने की बात कही है . दिल्ली सरकार ने निबंधित मजदूरों को पांच हजार रुपये देने की घोषणा की है. कंस्ट्रक्शन लेबर यूनियन (इंटक) के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश ने गैर निबंधित मजदूरों के सहयोग के लिए सरकार से आग्रह किया है. केंद्र सरकार ने जिस तरह से जनधन योजना के तहत खोले गये बैंक के अकाउंट में राशि देने की बात कही है. उसी तरह से राज्य सरकार भी बैंकों के साथ को-ऑर्डिनेट कर गैर निबंधित मजदूरों के खाते में राशि डाले.
मजदूरों ने सुनायी अपनी व्यथा
राजधानी पटना के हनुमान नगर में रहने वाले रिक्शा चालक राजकुमार ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करता हूं. अभी आने-जाने पर रोक है, इसलिए रिक्शा नहीं चला रहा हूं. हमलोग रोज कमाने और खाने वाले हैं. आगे कैसे चलेगा कहना मुश्किल है. वहीं शहर के आंबेडकर कॉलोनी में रहने वाली मेड सुमित्रा देवी ने कहा कि घरों में दाई का काम करती हूं, वहीं से मजदूरी के अलावा कुछ मिल भी जाता है. इधर कुछ दिनों से काम पर नहीं जा रही हूं. सहयोग तो मिल रहा है, लेकिन समस्या है.