– उत्पादकता 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुई संवाददाता, पटना बिहार में पिछले 10 वर्षों में मखाना की खेती का रकबा दो गुना बढ़ गया है. कृषि विभाग और कॉम्फेड के माध्यम से सुधा ने मखाना अमेरिका तक भेजा है. वर्ष 2012 तक बिहार में मखाना की खेती लगभग 13 हजार हेक्टेयर में होती थी. मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना से मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है. इससे मखाना की खेती का रकबा बढ़कर 35 हजार 224 हेक्टेयर हो गया है. मखाना विकास योजना से मखाना की उच्च प्रजाति के बीज के उपयोग से उत्पादकता में तेजी से वृद्धि हुई है. करीब 25 हजार किसान मखाना की खेती से जुड़े हुए हैं. इसे जीआइ टैग भी मिल चुका है. उत्पादन को बढ़ावा दे रही सरकार 2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गयी. मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा के विकसित स्वर्ण वैदेही तथा भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय का विकसित सबौर मखाना-1 प्रभेद को प्रत्यक्षण के माध्यम से बढ़ावा दिया गया. बिहार सरकार की मखाना विकास योजना से 10 जिलों में मखाना के उत्पादन का विस्तार हुआ. मखाना संग्रहण के लिए भंडार गृह निर्माण पर अनुदान, बिहार एवं बिहार से बाहर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. 10 जिलों में होता है मखाना राज्य के 10 जिलों दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है. अब इसका उत्पादन 16 जिलों में विस्तारित किया गया है. देश में कुल उत्पादित मखाना का लगभग 85 प्रतिशत बिहार में हो रहा है. राजस्व में हुई 4.57 गुना की बढ़ोतरी 2005 के पूर्व जहां मत्स्य-मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति 3.83 करोड़ रुपये थी. 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गयी है. राजस्व प्राप्ति में 4.57 गुना वृद्धि हुई है. निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अब मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है. यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे क्षेत्र विस्तार, यांत्रिकीकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को समृद्ध करेगा. .
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