पार्किंग विवाद: एजेंसी को लेकर मेयर और आयुक्त आमने-सामने

पटना नगर निगम में इन दिनों दो पार्किंग एजेंसियों को लेकर मेयर और आयुक्त में विवाद चल रहा है.

By DURGESH KUMAR | July 14, 2025 1:02 AM
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हिमांशु देव, पटना पटना नगर निगम में इन दिनों दो पार्किंग एजेंसियों को लेकर मेयर और आयुक्त में विवाद चल रहा है. इसमें बड़ी बात यह है कि दोनों पक्ष एक दूसरे की एजेसियों को विवादित बता रहे हैं. मेयर जिस एजेंसी अमेजिंग इंडिया को शहर की विभिन्न पार्किंग को संचालित करने के लिए देने के पक्ष में हैं, उस पर नगर आयुक्त या निगम प्रशासन का आरोप है कि यह एजेंसी मनमाने ढंग से पैसे वसूल रही है. इसके द्वारा पार्किंग में अवैध निर्माण कराया जा रहा है और इस एजेंसी के लोगाें ने जांच के दौरान निगम कर्मी का अपहरण करने की कोशिश की थी. दूसरी तरफ मेयर पक्ष का आरोप है कि मौर्यालोक परिसर और उसके सामने मल्टी लेवल कार पार्किंग के निर्माण की जिम्मेदारी जिस एजेंसी एचपी राज्यगुरु इंजीनियर्स एंड डेवलपर्स को दिया गया है, उस पर दूसरेे राज्य में काम करवाने में गड़बड़ी को लेकर सीबीआइ जांच चल रही है. एजेंसी ने यह तथ्य छिपा कर यहां काम लिया. मालूम हो कि मौर्यालोक कॉम्प्लेक्स में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत दो भागों में स्वचालित मल्टी लेवल कार पार्किंग बनायी गयी है. इसका उद्घाटन फरवरी, 2025 में किया गया था. दोनों यूनिट मिला कर 156 कारों की पार्किंग क्षमता है. लेकिन, प्रभात खबर ने शनिवार और रविवार को दोपहर दो बजे पार्किंग स्थल की पड़ताल की, तो एक भी कार पार्क नहीं मिली. इसके भाग ए का संचालन हो रहा है, जबकि बी निर्माणाधीन है. इसमें पार्किंग का पैसा अमेजिंग इंडिया वसूल रही है. पांच माह बाद भी न पार्किंग का उपयोग हो रहा है और न ही लोगों को इसकी जानकारी है. सीबीआइ जांच के बावजूद निर्माण का जिम्मा क्यों : मेयर कार पार्किंग का निर्माण गुजरात की कंपनी एचपी राज्यगुरु द्वारा किया जा रहा है. मई, 2025 में इस पर आवश्यक जानकारी छिपाने की शिकायत आयी. इसके बाद पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 24 मई को पत्रांक 2053 के तहत शोकॉज नोटिस जारी किया. संतोषजनक जवाब न मिलने पर एजेंसी को प्रतिबंधित कर दिया गया और सिक्योरिटी मनी भी जब्त कर ली गयी. इसके बावजूद एजेंसी ने दोपहिया वाहनों की पार्किंग के लिए टेंडर में भाग लिया, जिसे 30 मई को खारिज कर दिया गया. मेयर की ओर से बैठक में सवाल उठाया गया कि सीबीआइ जांच चल रही एजेंसी को निर्माण का जिम्मा क्यों दिया गया. साथ ही भाग बी का निर्माण अब भी वही एजेंसी द्वारा किया जा रहा है. अमेजिंग इंडिया एजेंसी पर अवैध वसूली और धमकी के हैं आरोप स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था का संचालन कर रही एजेंसी अमेजिंग इंडिया का टेंडर दोबारा प्रस्तावित किया गया, तो नगर आयुक्त, कई अधिकारी और पार्षद विरोध में बैठक से बाहर चले गये. इन विवादों के कारण 17 नवंबर, 2024 को नगर आयुक्त के निर्देश पर अमेजिंग इंडिया को शहर के सभी पार्किंग स्थलों से हटा दिया गया था. इसी पर नगर आयुक्त ने बैठक में कहा कि नगर निगम से बड़ा एजेंसी नहीं हो सकती है. पार्किंग का टेंडर किसी साफ-सुथरी एजेंसी को भी दिया जा सकता है. मालूम हो कि अमेजिंग इंडिया पर एग्जीबिशन रोड के पास दो लोगों को निगम के नाम पर अवैध वसूली करते हुए पकड़ा गया. वहीं, कंकड़बाग इलाके में पार्किंग स्थल पर अवैध निर्माण की सूचना पर पहुंची टीम के साथ बदसलूकी की गयी. यहां तक कि राजस्व पदाधिकारी के अपहरण की कोशिश की बात सामने आयी. इस मामले में नूतन राजधानी अंचल के राजस्व अधिकारी ने एफआइआर दर्ज करायी थी. एजेंसी से कमिशनखोरी का चल रहा खेल वार्ड 28 के पार्षद विनय कुमार पप्पू ने बताया कि पार्किंग एजेंसी को लेकर कमिशनखोरी का खेल चल रहा है. जिस अमेजिंग इंडिया का संरक्षण मेयर कर रही हैं, उस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. अमेजिंग इंडिया को शहर के पार्किंग स्थलों को स्मार्ट पार्किंग के रूप में डेवलप करना था. इधर, स्टेंडिंग कमेटी के सदस्य सह पार्षद विनोद कुमार ने बताया कि कार पार्किंग का निर्माण करा रही गुजरात की एचपी राज्यगुरु ने फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र दिया है. जहां पार्किंग बनाने का दावा दिया है, वहां पार्किंग है ही नहीं.

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