सूत्रों के अनुसार, यह अनुमति प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर किए गए आरोप पत्र के आधार पर दी गई है, जो केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की FIR पर आधारित है. यह मामला उस घोटाले से जुड़ा है, जिसमें लालू यादव पर रेल मंत्री रहते हुए नौकरी के बदले लोगों से जमीन लेने का आरोप है. कहा गया है कि लालू यादव ने रेल मंत्रालय में नौकरियां देने के बदले उम्मीदवारों से रियायती दरों पर जमीन अपने परिवार के सदस्यों या करीबी सहयोगियों के नाम लिखवा ली.
ED ने इस मामले में दायर की थी चार्जशीट
पिछले साल अगस्त में ED ने इस मामले में चार्जशीट दायर की थी. जिसमें लालू यादव, उनके बेटे बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, और परिवार के अन्य सदस्यों को आरोपी बनाया गया था. आरोप है कि लालू प्रसाद ने अपनी आय और संपत्तियों को छिपाने के लिए एक सोची-समझी आपराधिक साजिश रची, जिसमें उनके परिवार के सदस्य और कुछ करीबी सहयोगी भी शामिल थे.
चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि इस साजिश के तहत कई कंपनियों और मुखौटा संस्थाओं के माध्यम से जमीन के सौदे किए गए, ताकि धन के स्रोत को छिपाया जा सके. जांच एजेंसियों का दावा है कि ये लेन-देन भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आते हैं.
राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद कानूनी प्रक्रिया हो सकती है तेज
अब राष्ट्रपति से अभियोजन की अनुमति मिलने के बाद लालू यादव के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया और तेज हो सकती है. यह राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद बदले हुए सियासी समीकरणों के बीच. राजद की ओर से इस पर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी सूत्रों ने इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया है.
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