बिहार का मुड़बरिया नरसंहार 31 साल बाद जिंदा हुआ, जानिए दुष्कर्म और मर्डर की वो खौफनाक घटना

बिहार का मुड़बरिया नरसंहार 31 साल के बाद फिर एकबार जिंदा हुआ है. अदालत ने 38 अभियुक्तों को बरी कर दिया है. जानिए क्या है 31 साल पहले की वो खौफनाक घटना...

By ThakurShaktilochan Sandilya | December 19, 2024 2:44 PM
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बिहार के शेखपुरा जिले का मुड़बरिया नरसंहार 31 साल के बाद फिर एकबार सुर्खियों में है. दरअसल, 1993 में दो जातियों के बीच आपसी संघर्ष में यह नरसंहार हुआ था. इस नरसंहार में 100 से अधिक लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. मंगलवार को अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए इस नरसंहार के 38 अभियुक्तों को रिहा कर दिया है. सबूत के अभाव में इन अभियुक्तों को रिहा किया गया है. इस नरसंहार में 31 साल की लंबी न्यायिक कार्रवाई चली है और अब 38 अभियुक्तों को रिहाई मिली है. इस नरसंहार की कहानी इतनी डरावनी है कि आज भी यहां के लोगों का जख्म भरा नहीं है.

नरसंहार के 38 अभियुक्तों को बरी किया गया

शेखपुरा जिले के घाटकोसुम्भा टाल क्षेत्र का चर्चित मुड़बरिया नरसंहार कांड फिर एकबार सुर्खियों में है. मंगलवार को इस नरसंहार के 38 अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. वर्ष 1993 में यहां हुए नरसंहार में पांच लोगों की हत्या हुई थी. कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था.

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गिरी थी 5 लाशें, कई महिलाओं का हुआ था दुष्कर्म

दो पक्षों के बीच जनवरी 1993 में जातीय हिंसा हुई थी और आपसी वर्चस्व में एक पक्ष के चार और दूसरे पक्ष के एक लोग की हत्या हुई थी. कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था जबकि एक दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. इस नरसंहार में 100 से ज्यादा लोगों को अभियुक्त बनाया गया था.

नरसंहार ने टाल क्षेत्र के पूरे सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न किया

इस नरसंहार में कई अभियुक्तों की मौत हो चुकी है जबकि कई आरोपितों की रिहाई विभिन्न अदालतों के द्वारा की जा चुकी है. 31 साल की लंबी न्यायिक कार्रवाई में जब मंगलवार को इन अभियुक्तों पर फैसला सुनाया जा रहा था तो अदालत खचाखच भरा हुआ था. न्यायाधीश मधु अग्रवाल ने इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए 38 अभियुक्तों को बरी कर दिया.  इस नरसंहार ने टाल क्षेत्र के पूरे सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया था. राज्य सरकार द्वारा इस नरसंहार के तुरंत बाद घाटकुसुंभा प्रखंड का गठन करते हुए लोगों में विश्वास पैदा करने का प्रयास शुरू किया गया था

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