Bihar Tourism: बिहार अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत और प्राचीन ज्ञान परंपरा के लिए जाना जाता है. यह राज्य न केवल महान विद्वानों की भूमि है, बल्कि यहां अद्भुत ऐतिहासिक वास्तुकला के कई बेजोड़ नमूने भी हैं. प्राचीन विश्वविद्यालयों से लेकर भव्य राजसी किलों तक, हर जगह यहां के गौरव और ज्ञान की कहानी बयां करती है. अगर आप भी इतिहास प्रेमी हैं, तो बिहार की ये विरासतें आपके लिए किसी खजाने से कम नहीं हैं. आज हम ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में आपको बता रहे हैं, जो बिहार के सम्पन्न इतिहास की गवाही देते हैं.
अशोक स्तंभ, वैशाली
वैशाली का यह स्तंभ अन्य अशोक स्तंभों से बिलकुल अलग है क्योंकि इस स्तंभ के शीर्ष पर केवल एक शेर है और इसका मुंह उत्तर दिशा की तरफ है. तथागत बुद्ध ने इसी दिशा में अपनी अंतिम यात्रा की थी. यह 18.3 मीटर ऊंचा है और लाल बलुआ पत्थर से बना है. स्तंभ के बगल में ईंटों से बना स्तूप और एक तालाब है, जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है.
नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में हुई थी और यह अगले 700 वर्षों तक फलता-फूलता रहा. पाल काल के अंत में इसका पतन शुरू हो गया, लेकिन 1200 ईस्वी के आसपास बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद यह तबाह हो गया. नालंदा में पढ़ाए जाने वाले विषयों में बौद्ध धर्मग्रंथ, दर्शन, धर्मशास्त्र, तत्वमीमांसा, तर्कशास्त्र, व्याकरण, खगोल विज्ञान और चिकित्सा शामिल थे.
राजा विशाल के किले के खंडहर, वैशाली
यहां पहाड़ी के दोनों ओर मीनारें बनी हुई हैं और यह नहर से घिरी हुई है. इस पहाड़ी के विशाल चरण के बारे में कहा जाता है कि यह राजा विशाल की संसद थी. इस जगह पर एक बार में कुल 7000 लोग बैठ सकते हैं. राजा विशाल के गढ़ के पास एक राज्याभिषेक टैंक भी है और इस टैंक के पानी का इस्तेमाल राजा विशाल के समय में चुने हुए प्रतिनिधियों को आशीर्वाद देने के लिए किया जाता था.
रोहतासगढ़ किला, रोहतास
रोहतास गढ़ का किला काफी भव्य है. इस किले का क्षेत्रफल 28 वर्ग मील में फैला हुआ है और इसमें कुल 83 द्वार हैं, जिनमें से चार मुख्य हैं घोड़ाघाट, राजघाट, कठौतिया घाट और मेढ़ा घाट. प्रवेश द्वार पर बना हाथी, दरवाजों की बुर्जियां, दीवारों पर बनी चित्रकारी अद्भुत है. रंगमहल, शीश महल, पंचमहल, खूंटा महल, आईना महल, रानी का झरोखा, मानसिंह की कचहरी आज भी मौजूद हैं. परिसर में कई इमारतें हैं जिनकी भव्यता देखते ही बनती है. कहा जाता है कि इस किले का निर्माण सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्य ने करवाया था.
बराबर गुफाएं, जहानाबाद
ये गुफाएं जहानाबाद जिले में स्थित हैं और ये सबसे पुरानी चट्टान काटकर बनाई गई गुफाएं हैं. इनमें से अधिकांश गुफाएं मौर्य काल की हैं और कुछ में अशोक के शिलालेख हैं. ये गुफाएं बराबर (चार गुफाएं) और नागार्जुनी (तीन गुफाएं) की जुड़वां पहाड़ियों में स्थित हैं. बराबर की अधिकांश गुफाओं में दो कमरे हैं, जो पूरी तरह से ग्रेनाइट से बने हैं. इसके अलावा इस स्थान पर कई बौद्ध और हिंदू चट्टान काटकर बनाई गई मूर्तियां भी मिली हैं.
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विक्रमशिला विश्वविद्यालय, भागलपुर
भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला यूनिवर्सिटी को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी. विक्रमशिला के महाविहार की स्थापना राजा धर्मपाल ने की थी. धर्मपाल के उत्तराधिकारियों ने इसे तेरहवीं शताब्दी तक राजकीय संरक्षण प्रदान किया. जिसके कारण विक्रमशिला चार शताब्दियों से अधिक समय तक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति का विश्वविद्यालय बना रहा. विश्वविद्यालय में तर्कशास्त्र, मीमांसा, तंत्र, न्यायशास्त्र आदि की पढ़ाई होती थी. कहा जाता है कि बख्तियार खिलजी ने 1193 के आसपास इसे नष्ट कर दिया था.
शेरशाह सूरी का मकबरा, सासाराम
शेरशाह सूरी का मकबरा बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में स्थित है. यहां विशाल खुला आंगन, ऊंचे गुंबद और स्तंभों सहित इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर की झलक दिखती है. यह एक सुंदर तीन मंजिला ऊंचा मकबरा (लगभग एक सौ बाईस फीट) है. यह एक चौकोर आकार की झील के बीच में स्थित है.
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