एनडीए के नेता सरकारी योजनाओं का कर रहे गुणगान

राज्य में चुनावी तैयारी रंग पकड़ने लगी है. एनडीए और महागठबंधन की खेमेबंदी के साथ ही बसपा, जनसुराज व आप सहित अन्य दलों ने भी अपना इस महासंग्राम में कूदने का ऐलान कर दिया है.

By RAKESH RANJAN | July 15, 2025 1:44 AM
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कृष्ण कुमार, पटना राज्य में चुनावी तैयारी रंग पकड़ने लगी है. एनडीए और महागठबंधन की खेमेबंदी के साथ ही बसपा, जनसुराज व आप सहित अन्य दलों ने भी अपना इस महासंग्राम में कूदने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में एनडीए ने अपने गठजोड़ को मजबूत करने की नीतियों पर काम शुरू कर दिया है. राज्य स्तरीय को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनने के साथ ही बूथ स्तर तक भी इसे मजबूत करने की कवायद चल रही है. फिलहाल एनडीए नेताओं और कार्यकर्ताओं को राज्य की सरकारी योजनाओं की जानकारी आमलोगों तक पहुंचाने का टास्क दिया गया है. साथ ही एनडीए घटक दलों के नेता साझा राजनैतिक कार्यक्रमों पर भी काम करने की तैयारी कर रहे हैं. इसका मकसद घटक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर समन्वय बनाना है. सूत्रों के अनुसार एनडीए नेता और कार्यकर्ता अब जिला, प्रखंड, पंचायत और बूथ स्तर तक पहुंचकर सात निश्चय की सभी योजनाओं से आम लोगों को अवगत करवा रहे हैं. साथ ही नीतीश सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देकर आगे भी जनता के लिए काम करने का अवसर प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं. इन नेताओं का टारगेट केवल मतदाता हैं. इसके क्षेत्र विशेष और मतदाताओं के आधारित अलग-अलग ग्रुप बनाकर अभियान में लगाया गया है. यदि महिला मतदाताओं तक सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने या संवाद करने की बात आती है तो इसके लिए एनडीए घटक दलों के महिला नेताओं और कार्यकर्ताओं की टोली जाती है. इसी तरह यदि अतिपिछड़ा, पिछड़ा, अल्पसंख्यक या सवर्ण वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचने की योजना बनती है तो उस वर्ग से संबंधित नेता या कार्यकर्ता ही अधिकतम संख्या में वहां पहुंच रहे हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद के महिला आरक्षण एवं सामाजिक सुरक्षा की पेंशन राशि को चार सौ रुपये से बढ़ाकर 11 सौ रुपये मासिक कर दिये जाने संबंधी निर्णय की जानकारी आम महिलाओं तक पहुंचाने के लिए एनडीए नेता व कार्यकर्ता डोर-टू-डोर पहुंच रहे हैं. इसमें महिलाओं को बताया जा रहा है कि सरकारी सेवाओं में 35 फीसदी आरक्षण का लाभ महिलाओं को मिल तो रहा था, लेकिन अब यह सुनिश्चित किया गया है कि इसका सीधा फायदा बिहार की मूल निवासी महिलाओं को ही मिले. इससे बाहर से आकर आवेदन करने वालों को रोका जायेगा और स्थानीय महिलाओं को सरकारी अवसरों में प्राथमिकता दी जायेगी. यह निर्णय नीतीश सरकार की उन तमाम योजनाओं का हिस्सा है, जो महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित हैं. इससे आज महिलाएं आर्थिक तौर पर सशक्त तो हो ही रही हैं, साथ ही समाज में आत्मसम्मान का जीवन जी रही हैं.

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