यह कदम हाल ही में पीएमसीएच और मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद उठाया गया है, जहां इलाज में हुई लापरवाही के आरोपों के बाद जांच और कार्रवाई हुई थी.
प्रत्येक अस्पताल में कोर टीम गठित की जाएगी
नई व्यवस्था के तहत अब इमरजेंसी मामलों के लिए प्रत्येक अस्पताल में कोर टीम गठित की जाएगी. इस टीम में एक केजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर, चार नर्स, एक फार्मासिस्ट, एक लैब तकनीशियन, एक एक्स-रे तकनीशियन और दो ड्रेसर सहित सहयोगी कर्मी 24 घंटे तीनों शिफ्ट में तैनात रहेंगे. इलाज में सामूहिक जिम्मेदारी तय की गई है.
बेड की कमी का नहीं दे हवाला
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि अब किसी भी गंभीर मरीज को बेड की कमी का हवाला देकर इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे मामलों में विधि-व्यवस्था की स्थिति बन जाती है, जिससे अस्पताल की छवि खराब होती है.
अस्पतालों को यह भी कहा गया है कि इमरजेंसी मरीजों के इलाज के लिए विभागीय समन्वय बेहद जरूरी है. कई मामलों में मल्टी-डिसिप्लिनरी ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है, ऐसे में सभी विभागों को तुरंत सक्रिय होकर काम करना होगा.
हर महीने हो समीक्षा बैठक
सभी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि वे हर महीने समीक्षा बैठक कर उपलब्ध सुविधाओं का आकलन करें और कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाते रहें. स्वास्थ्य विभाग का यह कड़ा रुख इमरजेंसी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
Also Read: पवन सिंह के बाद एक और भोजपुरी स्टार लड़ेगा विधानसभा चुनाव, बिहार की इस सीट से ठोकी दावेदारी