कैबिनेट द्वारा कुल 150 नई बसों के लिए 30 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि मंजूर की गई है. इसके अलावा योजना के सुचारू क्रियान्वयन और निगरानी के लिए 60 लाख रुपए अतिरिक्त प्रशासनिक खर्च की भी स्वीकृति दी गई है. यानी कुल मिलाकर राज्य सरकार इस योजना पर 30.60 करोड़ रुपए खर्च करेगी.
प्रदेश के लोगों को होगा फायदा
नीतीश सरकार का यह फैसला बिहार में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र के सहयोग से वातानुकूलित अन्तरराज्यीय बस सेवा शुरू करने की दिशा में एक ठोस पहल मानी जा रही है. इससे एक ओर जहां सार्वजनिक परिवहन को मजबूती मिलेगी, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के लोगों को गर्मी और भीड़-भाड़ से राहत मिलेगी.
इन बसों को बड़े शहरों में संचालित किया जाएगा
योजना का लाभ उन निजी बस संचालकों को मिलेगा जो पूरी तरह से नई और तकनीकी मानकों पर खरी AC बसों का अधिग्रहण करेंगे. इन बसों को विशेष रूप से बिहार से दिल्ली, कोलकाता, रांची, लखनऊ और अन्य बड़े शहरों के लिए संचालित किया जाएगा.
सरकार को उम्मीद है कि इस प्रोत्साहन के बाद बिहार के परिवहन क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और लोगों को बेहतर यात्रा अनुभव प्राप्त होगा. साथ ही, यह कदम राज्य की अर्थव्यवस्था और रोज़गार के अवसरों को भी गति देगा.
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