केजरीवाल ने पत्र में लिखा- आखिर भाजपा ने ऐसा कहने का साहस कैसे किया
अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र में आगे लिखा, ‘मैं आपको यह पत्र एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर लिख रहा हूं, जो न केवल हमारे संविधान बल्कि बाबा साहेब अम्बेडकर की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है. हाल ही में संसद में, देश के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब के नाम पर की गई टिप्पणी ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है. उनका यह कहना कि अम्बेडकर-अम्बेडकर बोलना आजकल फैशन बन गया है, यह न केवल अपमानजनक है बल्कि भाजपा की बाबासाहेब और हमारे संविधान के प्रति सोच को उजागर करता है.’
केजरीवाल ने पत्र में आगे लिखा, ‘आखिर भाजपा ने बाबा साहेब के बारे में ऐसा कहने का साहस कैसे किया? इससे देश भर में करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. ये बयान देने के बाद अमित शाह ने माफी मांगने की बजाय अपने बयान को उचित ठहराया. प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक रूप से अमित शाह के बयान का समर्थन किया. इसने जले पर नमक छिड़कने का काम किया. लोगों को लगने लगा है कि बाबा साहेब को चाहने वाले अब भाजपा का समर्थन नहीं कर सकते. बाबा साहेब सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा हैं. भाजपा के इस बयान के बाद लोग चाहते हैं कि इस मसले पर आप भी गहराई से विचार करें.’
ललन सिंह बोले- केजरीवाल को नीतीश कुमार को परामर्श देने का नैतिक अधिकार नहीं
मोदी कैबिनेट में मंत्री ललन सिंह ने केजरीवाल के पत्र पर पलटवार करते हुए कहा, ‘अरविंद केजरीवाल के पास नीतीश कुमार को परामर्श देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. नीतीश कुमार सार्वजनिक जीवन में अपनी ईमानदारी और गरिमा के लिए विख्यात हैं. उन्होंने लंबे समय तक केंद्र में कई महत्वपूर्ण विभागों का कुशलतापूर्वक संचालन किया है और पिछले 19 वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियां निष्ठापूर्वक निभा रहे हैं. उनके सार्वजनिक जीवन पर आज तक कोई दाग नहीं लगा है. वहीं, भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जा चुके व्यक्ति का नीतीश कुमार जैसे स्वच्छ छवि वाले नेता को सलाह देना न केवल अनुचित है, बल्कि असंगत भी.’
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