नीतीश ने खुद ही चलाया था चापाकल
मुख्यमंत्री के आने की सूचना मात्र से गांवों की कई समस्याओं का समाधान हो गया. एक साल पहले यहां ट्रांसफार्मर जल गया था, शिकायतें की गयी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब मुख्यमंत्री के आने की सूचना जैसे ही अधिकारियों को मिली, आनन-फानन में जले ट्रांसफार्मर को बदला गया. खराब चापाकल बदले जा रहे, कुछ की मरम्मत की गयी. सीएम के आने से पहले चौतरवा-पतिलार सड़क को दुरुस्त कर दिया गया था. पतिलार के सभी सरकारी भवन भी चकाचक हो गये. मुख्यमंत्री के आगमन के पहले पतिलार में दस एकड़ में स्वीस काटेज बनाया गया था. मुख्यमंत्री को टेंट के भीतर ही रात गुजारनी थी. खुद की हाथों से उन्हें चापाकल चलाकर पानी लेना था. हुआ भी ऐसा ही.
लोगों के चेहरे पर से हट चुकी थी निराशा
लौरिया की सभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार अब विकास की यात्रा पर है. कलम में स्याही भरने का समय है. यह दुनिया ज्ञान की है. जो पढ़ेगा वह आगे बढ़ेगा. दरअसल मुख्यमंत्री को सामने देख लोगों में सरकार के प्रति अपेक्षा भी बढ़ी है. मुख्यमंत्री इस पूरे यात्रा में यश और अपयश साथ लेकर चल रहे थे. कानून व्यवस्था, सड़क और अस्पताल की स्थिति में सुधार मुख्यमंत्री को यश दिला रहा था. वहीं इंदिरा आवास और बीपीएल सूची में गड़बड़ी उनके हिस्से में अपयश साबित हो रही थी. खास यह था कि लोगों में निराशा के भाव नहीं थे. सबके चेहरे पर यह खुशी थी कि मुख्यमंत्री अपना काम कर रहे हैं.
हर किसी को नीतीश कुमार पर था विश्वास
छपरा के फिरोज आलम ने कहा था कि सरकार टाइट है. मुखिया और बीडीओ गड़बड़ी कर रहे. मुख्यमंत्री जनता दरबार में सबकी बातें सुनी. सरकार को सामने देख लोग अपनी समस्याएं रख रहे थे. पड़ोस की बेलवा गांव से आयी एक महिला को सरकारी नौकरी की दरकार थी. गूंगी और बहरी इंटर पास इस महिला के पति को भी उम्मीद है कि खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में उसने अपना आवेदन दिया है. पतिलार में मुख्यमंत्री को इंदिरा आवास में गड़बड़ी की शिकायत मिली, तत्काल एफआईआर का आदेश दिया. आदिवासी थारू महेश को कैंसर रोग के इलाज की दरकार थी, तत्काल साथ में खड़े स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को मदद पहुंचाने का निर्देश मिला. एक उम्मीद के साथ पूरे गांव ने मुख्यमंत्री को वहां से विदा किया.
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