परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में एक लाख 58 हजार 851 एंबुलेंस निबंधित हैं -आपात स्थिति में बढ़ी मरीजों की परेशानी -देश की कुल आबादी में बिहार की हिस्सेदारी 8.6 फीसदी, पर एंबुलेंस में भागीदारी मात्र सवा दो प्रतिशत संवाददाता, पटना बिहार में लगभग 13 करोड़ की आबादी पर महज 3575 एंबुलेंस ही हैं. परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में एक लाख 58 हजार 851 एंबुलेंस निबंधित हैं.देश की कुल आबादी में बिहार की हिस्सेदारी 8.6 फीसदी है, लेकिन एंबुलेंस में भागीदारी मात्र सवा दो प्रतिशत है. वहीं, रिपोर्ट के मुताबिक देश के कई छोटे राज्यों में बिहार से अधिक एंबुलेंस हैं. बिहार में कम एंबुलेंस रहने से आपात स्थिति में लोगों को घर से अस्पताल तक यात्री वाहन (स्कॉर्पियो, बोलेरो, ओमनी वैन) से लेकर जाया जाता है, जिसमें इमरजेंसी सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं होता है. देखा, जाये तो 80 प्रतिशत निजी एंबुलेंस में ऑक्सीजन भी भगवान भरोसे है. कोरोना से पहले बिहार में एंबुलेंस की सख्या और कम थी परिवहन विभाग के मुताबिक कोरोना काल से पहले बिहार में एंबुलेस की संख्या और कम थी. 2020 के पहले बिहार में कुल एंबुलेंस की संख्या मात्र 754 थी.कोरोना वाले वर्ष 2020 में भी मात्र 26 एंबुलेंस की ही खरीदारी हुई थी. इसके अगले वर्ष 2021 में 472 तो वर्ष 2022 में रिकॉर्ड 1237 एंबुलेंस की खरीदारी हुई. वहीं 2023 में 132, 2024 में 431 एंबुलेंस खरीदे गये. इस वर्ष अब तक 523 एंबुलेंस की खरीदारी हो चुकी है. देश में सबसे अधिक एंबुलेंस उत्तर प्रदेश में 24 हजार 693 की खरीदारी हो चुकी है. अन्य राज्यों में पश्चिम बंगाल में 19 हजार 510, तमिलनाडु में 9061, महाराष्ट्र में 15 हजार 968 एंबुलेंस हैं, जबकि असम में 5689, छत्तीसगढ़ में 7156, दिल्ली में 3807, गुजरात में 8188, झारखंड में 1606, कर्नाटक में 13 हजार 717, केरल में 9913, ओडिशा में 6911, राजस्थान में 13 हजार 488, उत्तराखंड में 3024 एंबुलेंस निबंधित हैं. एंबुलेंस में चिकित्सकीय उपकरण जरूरी चिकित्सकों के मुताबिक मरीजों को अस्पताल तक लाने के लिए एंबुलेंस में कई जरूरी चिकित्सकीय उपकरण होते हैं, लेकिन यात्री वाहनों में यह सुविधा नहीं होती है.केवल ऑक्सीजन सिलिंडर के सहारे ही लोगों को अस्पताल तक लाये जा रहे हैं.एंबुलेंस में वे सभी महत्वपूर्ण उपकरण होने चाहिए जो आपातकालीन स्थितियों में मरीजों की मदद कर सके. इनमें मुख्य रूप से स्ट्रेचर, ऑक्सीजन सिलिंडर व मास्क, डिफाइब्रिलेटर, हृदय मॉनीटर, ब्लड प्रेशर मापने का उपकरण और फर्स्ट-एड किट शामिल हैं. सड़क हादसे में 82 फीसदी की हो रही है मौत यात्री वाहनों से मरीजों को अस्पताल तक लाने का परिणाम यह हो रहा है कि सड़क हादसो में बिहार में हर 100 में 82 यात्रियों की मौत हो जा रही है. मिजोरम के बाद बिहार देश का दूसरा राज्य है. जहां सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक लोगों की मौत हो रही है. बिहार में हर रोज कम से कम 27 सड़क हादसे हो रहे हैं. इसमें औसतन 21 लोगों की जान जा रही है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य में सड़क हादसे और इससे होने वाली मौतें साल-दर-साल बढ़ रही हैं. इसका एक बड़ा कारण बिहार में एंबुलेंस की कमी का होना भी है.
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